चिदानन्द शिवसुन्दरी नाटक | Chidanand Shivsundari Natak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.47 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्न्न्य (१५ ) प्यारा आय हरो महि पीर आगम०1१ १ । तूनेद्दी मिथ्या अंबेंर उड़ाया ॥ जीवोंको मुक्तीका रसता बताया ॥ आके करो धीर । अस्त ज्ञान का नीर ॥ पड़े [चित सीर । मिठे सब भीर री ॥ प्यारी आय हरो मोहे पीर आगम ॥२१| (१६) चाछ नाटक-जावों जी नावों चढ़े दानके दिलाने वाले ॥ जिनवानीका आना आर शुभपक़ाति देवीका निनवानी की स्तुति करना ॥ ही रे के 0. ड आवो जी आवो श्रम भावके मिटाने वाली । वीर बघानेवाली । रसते छगानिवाली ॥ प्रमकित दिलाने वाली । कृमति हटाने वाली ॥ आगम परमाण बनके तोंके दिखानेवाली । आवो टेक ॥ चेतन को आज मोह नींद में में आन देखा । माहकों पापी निदई वेइमान देखा ॥ पापीने जादू डारे । चेतन की कर मतवारे ॥ सारे हैं काम विगारे ॥ दुःख दिए हैं भारे | तु हितकारी । है दुखहरी । है खुखकारी कंखमलहारी । है शातन दर्शाने वाली ॥ आवो ॥ १ ॥
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