चिदानन्द शिवसुन्दरी नाटक | Chidanand Shivsundari Natak

Chidanand Shivsundari Natak by धानीराम त्रिपाठी - Dhaniram Tripathi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about धानीराम त्रिपाठी - Dhaniram Tripathi

Add Infomation AboutDhaniram Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न्न्न्य (१५ ) प्यारा आय हरो महि पीर आगम०1१ १ । तूनेद्दी मिथ्या अंबेंर उड़ाया ॥ जीवोंको मुक्तीका रसता बताया ॥ आके करो धीर । अस्त ज्ञान का नीर ॥ पड़े [चित सीर । मिठे सब भीर री ॥ प्यारी आय हरो मोहे पीर आगम ॥२१| (१६) चाछ नाटक-जावों जी नावों चढ़े दानके दिलाने वाले ॥ जिनवानीका आना आर शुभपक़ाति देवीका निनवानी की स्तुति करना ॥ ही रे के 0. ड आवो जी आवो श्रम भावके मिटाने वाली । वीर बघानेवाली । रसते छगानिवाली ॥ प्रमकित दिलाने वाली । कृमति हटाने वाली ॥ आगम परमाण बनके तोंके दिखानेवाली । आवो टेक ॥ चेतन को आज मोह नींद में में आन देखा । माहकों पापी निदई वेइमान देखा ॥ पापीने जादू डारे । चेतन की कर मतवारे ॥ सारे हैं काम विगारे ॥ दुःख दिए हैं भारे | तु हितकारी । है दुखहरी । है खुखकारी कंखमलहारी । है शातन दर्शाने वाली ॥ आवो ॥ १ ॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now