हिंदी शब्दसागर भाग - 6 | Hindi Shabdasagar Bhag-6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37.83 MB
कुल पष्ठ :
546
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिंदी शब्द्सागर
प--हिंदी वर्यमाला में स्पर्श व्यजनों के श्रतिम वर्ग का पहला वर्ण ।
इसका उच्चारण श्रोठ से होता हैं इसलिये शिक्षा में इसे
प्रोष्ट्य चणें कहा गया है । इसके उच्चारण मे ' दोनो ' श्रोठ
मिलते हैं इसलिये यह स्पर्श वर्ण है । इसके उच्चारण में
शिक्षा के भ्रनुसार विवार, सास, घोष श्रौर झ्रल्पप्राण नामक
प्रयत्न लगते हैं ।
पंक--सच्चा पु० [ स० पट्ने ] १. कोचड । कोच ।
थौ०--पंकज । पंकरुदद ।
२ पानी के साथ मिला हुश्ना पोतने योग्य पदार्थ । लेप । उ०--
श्याम श्रग चदन को श्राभा नागरि केसरि श्रग । मलयज
पक कुमकुम मिलिक जल जमुना इक रग ।--सूर (शब्द०)
३, पाप (को०) । ४ बडा परिमाण । घनी राशि (को०) ।
पककचंट--सच्चा पु० [ पट्टकर्चट ] जलयुक्त कीचड [फो८' ।
पंककीर--सचा पु [ स० पकवकीर ] टिटिहरी नाम की चिडिया ।
पंकक्रीड़--पि [ सं० पकवक्कीड ] कीचड में खेलनेवाला ।
पंकक्कीढ़ी- सशा पुं० सुभ्रर ।
पंकक्ीडनक--सच्चा पुं० [ स० पकुक्रीडनक 1] दे 'पंकफ्रीड' ।
पंकगड़क--+सच्चा पु [ पकुगढक ] एक प्रकार की छोटी मछली ।
पंकग्राहइ--सभा पुं० [ म० पकपाह ] मगर ।
पंकचर--सदा पुं० [ भ्र० पंक््चर ] छेद 1 छिद्र । पंचर । उ०--हमें
न चहिए डनलप टायर, पकचर ले शैतान सँमाल । --बदन०,
पुर रे ।
पंकच्छिद-सा पुं० [ स० पहनच्छिद ] एक प्रकार का. वृक्ष !
निर्मली [को०] 1
पंकज --वि० [ स० पक्कज ] कीचड़ मे उत्पन्न होनेवाला ।
पंकज--सचा पुं० १ कमल ।
यौ०--पकज वन > (१) कमल का वन । उ०--तू भुल न री
पकजबन में, जीवन के इस सूनेपन में, श्री प्यार पुलकफ से
भरी ढुलक ।--लहर, पृ० २।
सारस पक्षी (कोर) ।
पंकजजन्सा--सक्का पु [ स० पकुजजन्मन, ] ब्रह्मा, जो कमल से
उद्ध्त हैं (कोन ||
पंफजन्म--मद्चा पुं० [ स० पकजन्मन् ] कमल [कोण ।
पंकफजन्मा--सच्चा पुं० [ स० पजन्मचू ] कमल ।
पुकजन्मा *-- वि० [स० प:्चजजन्मनू | कीचड़ से पैदा होनेवाला फोर] ।
प्
पंकजनाभन-सद्चा पु [ स० पकजनाभ ] विष्णु [को०] ।
पंकजराग--सश्चा पु० [ स० पकनजराग ] पद्मराग मणि । उ०--
परिजन सहित राय राचिन कियो. सज्जन प्रेम प्रयाग ।
तुलसी फल चार को ताके मनि मरकत पकज राग ।
-छुलसी (शब्द०) ।
पकजवाटिका--सच्षा सी [ स० पक्चजवाटिका ] तेरह श्रक्षरो का एक
वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक भगण, एक नगसण, दो
जगण श्रौर अत मे एक लघु होता है। इसे एकावली श्रौर
कजावली भी कहते हैं । जेसे,--श्री रघुवर तुम हो जगनायक ।
देख दशरथ को सुखदायक । सोदर सहित पित्ता पदपावन ।
बदन किय तेव ही मनभावन ।--केशव (शब्द०) ।
पंकजात--सच्चा पु० [ स० पक्लजात ] कमल ।
पंकजासन--सश्ा पुं० [ स० पछजासन ] ब्रह्मा ।
पंकजित्--सच्चा पु० [ स० पकजित् | गरुढ़ के एक पुत्र का नाम ।
पकजिती-- सच्चा कली [ सं० पकुजिनी ] १. पदमाकर । कमलाकर ।
२. कमलिनी । कमलवूक्ष 1
पंकण--सशा पुं० [ स० पकुण ] चाडाल का निवासस्थान [को५ु ।
पंकत(पुग--सन्ना ली [ स० पढ़िक्त ] दे 'पक्ति' । उ०--(क) बक
पकत रद नीर, गरजण गाज पिछाँख ।--वाँकी० ग्र ०,
भा० १, पृ० १७ । (ख) 'च डीसुल पार जात मराला पकता
चगी ।--रघु०, रू०, पु० रद ।
पकदिग्थ--रि९ [ सं० पकंदिग्ध ] पंकयुक्त । जिसपर मिट्टी पोती
गई हो [फोन ।
पंकदिग्घशरीर--मसद्चा पु० [स पटदिस्घशरीर ] एव दानव का नाम ।
पकदिग्धाग --वि० [ उ० पकृदिस्थाज् ] वह जिसके श्रगो पर कीचड
का लेप किया गया हो [कोने |
पंकद्ग्घांग--सशा पुं० [स० पड्ुदिग्धाज्ञ] कातिकेय के एक श्रनुचर
का नाम ।
पंकघूम--सशा पुं० [ स० पक़ुघूम ] जैनियो के एक नरक का नाम ।
पंकपपंटी--सच्चा ख्री० [स० पकृपर्पटी ] सौराष्ट्रमुत्तिका । गोपीचंदन ।
'पकप्रभा--संज्ञा पुं० [ स० पकप्रमा ] कीचड से भरे हुए एक नरक
का नाम 1
पकसाक--वि० [सं० पछभाजू ] कोष में डूबा हुआ । पवित्न [कोन ।
एकभारक--पि. | स पकुभारक ] वीचवाला । पक्लि । जिसमे
कीचड भरा हो [को०] |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...