सामान्य हिंदी | Samanya Hindi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.53 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ओमप्रकाश गाबा - Omprakash Gaba
No Information available about ओमप्रकाश गाबा - Omprakash Gaba
डॉ भोलानाथ तिवारी - Dr. Bholanath Tiwari
No Information available about डॉ भोलानाथ तिवारी - Dr. Bholanath Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बर्णमाला और लेखन 19 इन स्थानों पर अब अनुस्वार ( ) का ही प्रयोग होता है । जैसे--अंबल पंछी इंजन झंझट । मू भी शब्द के आदि और अंत में नही आता । (3) स्वतंत्र रूप से थ॒ का प्रयोग मुख्यतः केवल संस्कृत तत्सम शब्दों में होता है । वह भी मध्य (प्रणाम) और अंत [प्रण) में । संयुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में ण् बाग प्रयोग तत्सम के अतिरिक्त तद्भव देशज आदि में भी होता है । इनमें यह ट ठ ड ढ के पूर्व भाता है । जैसे-- घण्टा भण्डा तथा ठण्डा आदि । किंतु अब इसके स्थान पर प्राय अनुस्वार (--) का ही प्रयोग होता है। जैसे--पंटा अंडा तथा ठंडा भादि। 2 ठ ड ढ के अतिर्रिक्त य. (पुण्य १ व (कण्य) थ (विपण्ण) के पूर्व भी ण का प्रयोग होता है कितु ऐसी स्थिति में ण के स्थान पर मनुस्वार नहीं आता 1 (4) संयुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में नु का प्रयोग त थ द ध के घुबें करने का सिंगम है । जैसे--अन्त पन््थ आनन्द और अन्धा । कितु अव इसके स्थान पर प्राय अनुस्वार ( ) का प्रयोग ही प्राय किया जाता है। जंसे--अंत पंथ भानेंद गौर अंधा । न म य व (अन्त जन्म अस्य अन्वय ) के पुर्वे भी मे आता है कितु ऐसी स्थिति में अतुस्वार इसका स्यान नहीं ले सकता । (5) संगुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में मू का प्रयोग प फ ब भ के पुरे करने का नियम है। जैसे -दम्पति लम्वा अम्बु । अब इसके स्थान पर अनुस्वार (7) का ही प्रयोग प्राय होता है । जैसे--दंपति लंवा अंबु । यों मे व्यंजन न (निम्न) से (सम्मान ये (नेम्य) र (नमन) ले (अम्ल) तथा व (स्वाफ़िक ) के पुर्व भी आता हैं कितु ऐसी स्थिति में म के स्थान पर अनुस्वार नहीं आता 1 (6) का प्रयोग ऊपर दिए गए क च 2 त प आदि ्यंजनों के अतिरिक्त य र ल व श स हू के पर्व भी होता है । जैसे--संयत सरचना संलाम संवाद बंश हंस सिंह आदि । (7) ऋ प क्ष ज्ञ का प्रयोग केवल संस्कृत शब्दों में होता है। ज॑से--कऋण दोष शिक्षा ज्ञान (8) कर स ग सर फ का प्रयोग केवल अरवी-फारसी-तुर्की शब्दों में होता है। जैसे--कानून सबर गरीब जहर फौरन । ज और फ़ अंग्रेज़ी शब्दों में भी जाते हैं। जैसे--गज़ट आफिस। आॉँ केवल अंग्रेजी शब्दों में आता है गॉफ़िस कॉलिश डॉक्टर |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...