सामान्य हिंदी | Samanya Hindi

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ओमप्रकाश गाबा - Omprakash Gaba

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डॉ भोलानाथ तिवारी - Dr. Bholanath Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बर्णमाला और लेखन 19 इन स्थानों पर अब अनुस्वार ( ) का ही प्रयोग होता है । जैसे--अंबल पंछी इंजन झंझट । मू भी शब्द के आदि और अंत में नही आता । (3) स्वतंत्र रूप से थ॒ का प्रयोग मुख्यतः केवल संस्कृत तत्सम शब्दों में होता है । वह भी मध्य (प्रणाम) और अंत [प्रण) में । संयुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में ण्‌ बाग प्रयोग तत्सम के अतिरिक्त तद्भव देशज आदि में भी होता है । इनमें यह ट ठ ड ढ के पूर्व भाता है । जैसे-- घण्टा भण्डा तथा ठण्डा आदि । किंतु अब इसके स्थान पर प्राय अनुस्वार (--) का ही प्रयोग होता है। जैसे--पंटा अंडा तथा ठंडा भादि। 2 ठ ड ढ के अतिर्रिक्त य. (पुण्य १ व (कण्य) थ (विपण्ण) के पूर्व भी ण का प्रयोग होता है कितु ऐसी स्थिति में ण के स्थान पर मनुस्वार नहीं आता 1 (4) संयुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में नु का प्रयोग त थ द ध के घुबें करने का सिंगम है । जैसे--अन्त पन्‍्थ आनन्द और अन्धा । कितु अव इसके स्थान पर प्राय अनुस्वार ( ) का प्रयोग ही प्राय किया जाता है। जंसे--अंत पंथ भानेंद गौर अंधा । न म य व (अन्त जन्म अस्य अन्वय ) के पुर्वे भी मे आता है कितु ऐसी स्थिति में अतुस्वार इसका स्यान नहीं ले सकता । (5) संगुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में मू का प्रयोग प फ ब भ के पुरे करने का नियम है। जैसे -दम्पति लम्वा अम्बु । अब इसके स्थान पर अनुस्वार (7) का ही प्रयोग प्राय होता है । जैसे--दंपति लंवा अंबु । यों मे व्यंजन न (निम्न) से (सम्मान ये (नेम्य) र (नमन) ले (अम्ल) तथा व (स्वाफ़िक ) के पुर्व भी आता हैं कितु ऐसी स्थिति में म के स्थान पर अनुस्वार नहीं आता 1 (6) का प्रयोग ऊपर दिए गए क च 2 त प आदि ्यंजनों के अतिरिक्त य र ल व श स हू के पर्व भी होता है । जैसे--संयत सरचना संलाम संवाद बंश हंस सिंह आदि । (7) ऋ प क्ष ज्ञ का प्रयोग केवल संस्कृत शब्दों में होता है। ज॑से--कऋण दोष शिक्षा ज्ञान (8) कर स ग सर फ का प्रयोग केवल अरवी-फारसी-तुर्की शब्दों में होता है। जैसे--कानून सबर गरीब जहर फौरन । ज और फ़ अंग्रेज़ी शब्दों में भी जाते हैं। जैसे--गज़ट आफिस। आॉँ केवल अंग्रेजी शब्दों में आता है गॉफ़िस कॉलिश डॉक्टर |




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