नाभादास कृत भक्तमाल एक अध्ययन | Nabhadas Krit Bhaktmal Ek Adhyayan

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Nabhadas Krit Bhaktmal Ek Adhyayan by प्रकाशनारायण दीक्षित - Prakash Narayan Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५ ) भगवत्त भक्त अवसिप्ठ की कोरति कहत सुजान है । हरि प्रसाद रस स्वाद के भक्त इते परमान हैं ॥ इसके आधार पर न तो नाभादास का भी प्रकार परिचय ही मिल प्याता हैं और न काव्य-कौद्यल का ठीक-ठीक अनुमान ही लगाया जा सकता हैँ । सरोज के पदचात्‌ नाभादास जी के सम्बंध में सविस्तार परिचय और विवरण देने का कार्य मिश्रवंधु विनोद में सम्पन्न हुआ । विद्वान लेखकों ने लगभग चार पुप्ठों में नाभादास और प्रियादास का परिचय दिया हैं । मिश्रबंदु पहले इतिहास- कार हैं जिन्होंने नाभादास के उपेक्षित व्यक्तित्व के प्रति इतना व्यान दिया है । सिथ्वंधु निम्नलिखित विपयों पर प्रकाग डालते हैं (क) नाभादास के गुरु का नाम (ख) नाभादास का समय (ग) भक्तमाल को रचना-तिथि घ) नाभादास की जाति ) नाभादास का निधन काल ) नाभादास एक भक्त के रूप में ज) नाभादास एक कवि के रूप में (झ) नाभादास के अन्य ग्रन्यों का परिचय (ट) नाभादास का महत्त्व न्श पं | | ध् उपलिखित इन विपयों का अव्ययन करने से यह स्पप्ट हो जाता है कि नाभा- -दास के सम्बंध में मिथ्वंघु ने जो कुछ सामग्री दी है वह हिन्दी में सर्वया मौलिक आर नवीन है । इतने विस्तार के साथ नामादास का आलोचनात्पक अध्ययन हिन्दी में सम्भवत इससे पूर्व नहीं हुआ था । नाभादास के व्यक्तित्व और रचनाओं के सम्बंध में मिश्नवंधु विनोद से हमें पर्याप्त सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं । सबसे बड़ी वात यह हैं कि विनोद के वाद में लिखे जाने वाले इतिहासों में इन्हीं वातों (नाभादास के गुरु का नाम समय भक्तमाल की रचना-तिथि नाभादास की जाति नाभादास के ग्रन्थ आदि) की पुनरावृत्ति हुई है । मिश्रवंु विनोद के अनन्तर गुक्ल जी लिखित हिन्दी साहित्य का १. शिवसिह सेंगर सरोज सातवाँ संस्करण पृ० १७१ २. मसिश्रवन्चु विनोद चतुर्य संस्करण पृ० ३५७-६९१




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