लक्ष्मी विलास | Lakshmi Vilas

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Lakshmi Vilas by पंडित लक्ष्मी चंद्रजी जैन - Pt. Lakshmi Chandraji Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १३ 3 परमेश्वर के नास युण वन १६४ जीव के अनेक साव श्द्् शुद्ध आत्सा में कोई दोप नहीं १६४५ प्रधान सुख सोक्ष से ही है... १६४ वो दमारा दुःख कैसे दूर करेगा १६४५ विद्या ही से सुख की दाता है १६६ पश्चिसी लोग का चिद्या सीखना श्घ्द भारत का चेला न हुआ हो. १६७ विद्वान देखने आते थे श्घ्ड भारत में सुशील स्वाभावी पुरुप १६७ सनुष्य जन्म पाकर १६७ दीनों का उपकार नहीं किया १६७ सुख समाज की घरुद्धि होय दे १६८ सलननों का वचन श्द्प दम पदचिले चुम पीछे ६६. मूखे जनों ने चहदका दिया है, १६६ मन वशीभूत नद्दीं होता १७० यद्द काम नद्दीं करना चाहिये १७० तृष्णा तेरे वास्ते १७१ कन्द्मूल का निषेध ६७१ पुष्पों मे देवता चताते हैं... १७२ दांदू पंथी कहते हैं खरे गोमटसार कथा १७३ जहाँ देखों परमात्मा श्ज्द भेद किसी ने नहीं पाया 0 मनुष्य जन्म चिन्ता से श्ज्छ सल्नन लोगों का स्वभाव १्ज्छ दुल्जैंन मनुष्यों का स्वभाव. १७४ राजधमे का संक्षेप वर्णन जा दुध्ट राजों के लक्षण १७४ राजा रुण का धारी एड राजा कैसा हो १्७्द प्रजा के सुख दुःख की सम्दह्दात् १७६ राजाओं को प्रजा के हित... १७७ राजाओं को झामदूनी चाहिये १७७ अज्ञा को रंजमान न करना. १७८ राजा न्याय पर नहीं चलता १७८ अजा को राजा रखते है श्थ्द राजा प्रजा का सम्मान श्७६ राजाओं को चणिक से प्रीति . १७६. राजाओं का काम प्रजा से... १७६ सब जीवों से प्रेम करना ए्प० प्रेम क्या गुणकारी वस्तु दै.. १८१ प्रेम से ही परमात्या सिलता है १५१ सुख होने का उपाय श्च४ जीवद्या ही सच कुछ है... १८४ दया साता ही सरदार है... १श्प४ दान पूजा दया के लिये है... १८४ दया दी सब धर्सो का भूल है १८४ रद्द म करने का वड़ा दर्जा है १८६ जगत का प्यार जीवद्या है १८६ द्या विना सब व्यर्थ है पद पर जीवों पर दया करो १्घ७ निर्देयता से चढ़कर शब्द नद्दीं १८७ जैनियों के लक्षण दछ गो-बेलों की हिंसा का निपेघ १८८ जैसा झकवर ने किया श्द६ गायें कादना चंद किया १६० गाय वैलों की रिहाई श्६१ गॉ-वेलों की पुकार (धर गाय का महत्त्व १्६्दे गाय रक्षा के फायदे श्६्दे खिलजी अलाउद्दीन के वक्त सें १६३ फिरोज बादशाह के वक्त से १६३ पुराने चक्त में झन्न घी का भाव १६४




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