आधुनिक काव्यधारा का सांस्कृतिक स्रोत | Adhunik Kavydhara Ka Saskritik Srot

Adhunik Kavydhara Ka Saskritik Srot by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द आधुनिक काव्यघारा का सांस्कृतिक स्रोत की संपूर्ण श्राथिक स्थिति पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा । राजनीतिक स्वतंत्रता के श्रपदरण के फलस्वरूप हिंदू श्रौर मुसलमान दोनों के बहुत से श्रधिकार छिन गए मुगलों के शासन-काल में हिंदुओं को श्रत्यृंत समानपूरण उच्च पद दिया जाता था | देश के शासन श्र सैनिक दोनों विभागों में हिंडुश्रों का प्रवेश था । लेकिन ब्रिटिश जाति के शासक-रूप मैं प्रतिष्ठित होने पर यह श्धिकार छिन गया । दूसरी विपमता यह थी कि मुगल-शासक भारत मैं बस गए थे जिससे यहाँ के कला-कौशल को प्रोत्साहन सिला लेकिन ब्रिटिश जाति यहाँ बसने नहीं श्राई उसका ध्येय भारत में आ्राकर पैसा कमाकर अपने देश को लौंड जाना है वह श्रपनी सभ्यता को ऊँचा समभने के कारण भारतीयों से घराचरी का संमानपूर्ण बर्ताव नहीं करती । सुगलों के शासन मैं जनता मृद्ध श्र संपन्न थी क्योंकि एक श्रोर तो योरप से व्यापारिक लाभ था और द्सरी आर वैभव श्रौर विलास की सामयियों की माँग बढ़ गई थी लेकिन इस नई जाति ने देश की श्रार्थिक नींव का आधार ही बदल दिया | शठारदवीं शती के अंत तक भारतीय समाज के उत्तरदायित्व का स्वरूप अधिकतर कुल जाति श्रौए गाँव की पंचायत तक सीसित था । साँव झ्पने में पूर्ण और श्रात्मनिभर थे । भारतीय समाज का श्राघार ( ८०० ) कृषि- प्रधान था जिसपर शासन श्र शासकों के परिवर्तन का प्रभाव न पढ़ता था । एक शोर युद्ध होता था श्रौर दूसरी श्रोर हज चला करता था । शासक गाँवों के जीवन मैं किसी प्रकार का हस्तन्षेप न करता था । उसका प्रभाव केवल आक्रमण राजकर श्र जर्मीदारों से लगान के रूप मैं ही दिखाई पड़ता था | लेकिन ब्रिय्शि जाति का संपक इतना नगण्य न रद्द सका । उसने शासन का स्वरूप दी बदल दिया 1 उसकी श्रा्थिक साम्राव्यवादिता की नीति का प्रभाव श्रत्यंत व्यापक रहा । राजनीतिक स्वतंत्रता के श्रपहरण के साथ-साथ श्रार्थिक दासता की बेड़ी भी पड़ गई । उसकी नीति से भारत के मध्यम वर्म का व्यापार छिनकर अँगरेज जाति की एजेंसियों श्रौर सध्यम वर्ग के हाथ चला गया श्रौर भारत के सच्चे मध्यम वर्ग का उन्मूलन हुआ | भारतीय व्यापार से हटकर कृषि की श्रोर कुकने को बाध्य हुए । उनकी नीति से




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