मारवाड़ का सांस्कृतिक इतिहास | Marwar Ka Sanskritik Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.63 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कार दूसर शरोर को ग्रहण करती है तो इसे हां पुनर्जन्म का सिद्धान्त कहते है । जिस प्रकार भाजन वख्रादि द्वारा शरीर क प्रति हमार अनक कर्तव्य ह उसा प्रकार आत्मा के प्रति भा हमार कुछ कर्तव्य है । आत्मा के प्रति कर्तव्या का भारतीय सस्कृतति म प्रमुख स्थान है । हे भारताय सस्वृति सदव जावित रहा ह आर अय तक भी जावित है जयकि सभ्यता कई बार जीर्ण हा चुकी है । जिन आदर्शा आर मूल्या वी स्थापना वनवासा मनीपा लाग कर गये थे वे आज भी भारताय जनता म॑ देखे जा सकते हे । सस्कृति का सम्बन्ध सम्रिगत चेतना से हुआ करता है तभी ता सामाजिक आदर्शा व मूल्या के अध्ययन स सास्कृतिक महत्व का अध्ययन किया जा सकता हे । किसी भी सस्कृति के वाहा स्वरूप के आधार पर ही उसकी मुल्याकन करना अनुचित आर एक अधूरा प्रयास हा कहा जायगा क्योकि जब तक उसके आन्तरिक स्वरूप की देखा आर परखा नहीं जाता तब तक सास्कृतिक गरिमा की सम्पूर्ता का आभास होना नितान्त असभव ह । किसा सस्कृति का समालोचना करते समय यह बात भी ध्यान दने योग्य है कि समाज विशेष वी सस्कृति म नैरन्तर्य (0000000५) के लिए यह आवश्यक नहीं कि उसका नया आर पुराना बाहा रूप एक सा हो । इस प्रकार वी जड़ता आर स्थिरता तो मरणासन्न सस्कृति का द्यात्तक होती है । भारतीय सस्कृति एक गतिशील ओर विकासमान सस्कृति है । भारतीय सस्कृति का प्रवाह पुरातन तत्वा स प्ररणा लता हुआ आर अद्यतन तत्वा को आत्मसात करता हुआ मिरन्तर आगे का आर प्रवाहित होता रहा है आर हा रहा हे । इसालिए धार्मिक सहिष्णुता आर अन्य सस्कृतिया क तत्व थहण की शक्ति इस सस्कृति का एक बहुत बड़ा गुण बन गयी है 1 भारतीय सस्कृति की विशेषताएँ. विभिन्न सस्कृतियों की प्रकृति मे मूलभूत समानताएँ हाते हुए भा समाज विशष आर स्थान विशेष के प्रभाव से वहाँ प्रतिफलित सस्कृति के रूप मे तथा गुण में भिन्नता दृष्टिगींचर होती हैं । यह रूप और गुण विशिष्ट का अन्तर हा किसा संस्कृति का मिजा विशषता कही जाता है जो उसे दुनिया की अन्य सस्कृतिया से अपनी अलग पहचान करने मं सहायक हुआ करता ह। इस दृष्टि स भारताय सस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताओ का निम्न प्रकार स उल्लिखित क्या जा सकता है । कम (९) घर्मप्रधान सस्कृति भारतीय सस्कृति धर्म प्रधान ह । भारताय जीवन का मलाधार धर्म हे तथा यहा की सस्कृति की नाव हा धर्म पर आधारित है । यहा का सस्कृति म॑ धर्म का व्यापक अर्थ में प्रयाग किया जाता रहा ह । धर्म का परिभाषा- धारयहि धर्म का गया है जिसका [7]
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