चीन भारत में कृषि व्यवस्था | chine Bharat Me Krishi Vyavastha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : चीन भारत में कृषि व्यवस्था - chine Bharat Me Krishi Vyavastha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पुर्नेश्वरी द्वेवदी - pureneshwari dwivedi

Add Infomation Aboutpureneshwari dwivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1) कह सकते है कि प्राचीन वैदिक युग से मूमि का समायानुसार विभिन्‍न प्रकारों में विमाजन किया गया है और महाकाव्यो एवं अर्थशास्त्र मे नवीन मूमि को कृषि योग्य बनाने की परामर्श दी गयी है । 2. मू-स्वामित्व मूमि के प्रकारों का विवेचन करने के पश्चात्‌ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि भूमि पर किसका अधिकार था। मू - स्वामित्व के प्रश्न पर इतिहासकारो ने तीन प्रकार का मत व्यक्त किया है और तीनों मतो के पक्ष मे तत्सम्बन्धित ग्रन्थो मे पर्याप्त प्रमाण मी मिलते है । कुछ विद्वानो के अनुसार भूमि पर राजा का स्वामित्व था जबकि कुक्क इतिहासकारों के अनुसार भूमि पर व्यक्ति या समूह का स्वामित्व होता था । प्राचीन काल में कुछ ऐसे भी उदाहरण मिलते हैं जिनसे यह प्रतीत होता है कि भूमि पर सम्मिलित स्वामित्व होता था। पाश्चात्य इतिहासकार कैम्पबेल और मेन के मतानुसार मूमि पर स्वामित्व पारम्परिक ग्राम बिरादरी का था। एच. एच. बिल्सन ने मी मूमि पर सामूहिक स्वामित्व के आस्तित्व को स्वीकार किया है डर मारतीय विद्वान डॉ0 सँंकलिया ने सन्‌ 181 ई0 के एक क्षत्रप अमिलेख मे रसोपद्रग्राम की चर्चा की है। उपरोक्त विद्वानों के उल्लेखों तथा समकालीन अन्य ग्रंथो के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि वैदिक युग मे भूमि पर व्यक्तिगत और सम्मिलित स्वामित्व का विकास क्रमबद्ध रुप में हुआ । उस समय आर्य भारत में आकर अपना विस्तार कर रहे थे तथा विभिन्‍न प्रकारो से भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार के अतिरिक्त _समहो मे बैँटे रहने के कारण मूमि पर उनका समूहगत अधिकार मी था । इस मत का समर्थन मजूमदार मी करते हैं रा इस प्रकार भू - स्वामित्व के विकास में सैंद्वान्तिक और व्यावहारिक दोनो पक्षों का योग रहा | सिद्धान्त रुप में तो भूमि पर राजा का स्वामित्व दिखाई पड़ता है क्योंकि राजतंत्र के उत्कर्ष के कारण साम्राज्य का विस्तार हुआ और साथ - साथ विजित मू - भाग पर उसका अधिकार स्थापित हुआ | समय - समय पर उसमे मूमि तथा गौँव आदि ब्राहमणों विद्वानों मन्दिरो और बिहारां आदि को प्रदान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now