शरीर और शरीर - रक्षा | Sharir Or Sharir-raksha
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.66 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शरोर घ्लार शरीर-रना । न
१--कन्ये की हृट्टीं । र-न्वाटु की हृट्डी । दे--्थेंगूदे की शोर
की हड्डी । शनादेाटी धंगुली की 'सारवाली हड्डी । कढ़ाई की
हड्ियां । इ--इथेली की हष्टिया । उ--शंगुदियों की हृड्टिया ।
हाथ की इड्डियाँ ।
जा भाग कोदनी फे ऊपर होता है उसमे एक लम्यी गाल
डुड़ी हावी हैं, इसे चाह की इड़ी (रिपतएल पे कहते है |
इसका ऊपरी सिरा कन्पेवाली छड़ों से मिलता
काइनी से नीचे कलाई तक दे! इियाँ होती हैं । एक
(१ ताएएस शरैंगूदे की झार घार दूसरों (000 छाटों झेगुली
को श्रार । इन दानों के ऊपरी सिरे चाह को इड़ी से जुटते है
घ्ार नोचेवाले सिरे कलाई फी हृड्ियों से |
कलाई में झाठ इड़ियाँ (0011 9006५ होतों ईं । वे
इस तरद जुड़ी ई कि दाथ श्ागे पीछे पार दाहिने वायें मु
सक॑ श्रार चाहर से ज़ोर लगने पर उनमें चाट न घावे ।
कलाई से पांच दृड़ियाँ इघेली में श्राती हैं, इन्दों में श्रैरु-
लिया की हदुट्टियां जुडी रदती हैं । इर घैंसुली में ३ घ्ौर भेयूठे
दृड़ियाँ द्वोती हैं । दाथ धार कलाई में बहुत सी दड़ियों
के होने से हाघ का दर एक भाग मु सकता' हैं जिससे
संकड़ों तर क॑ काम होते टू । श्रैंगुलियों की छाटाई बड़ाई
वस्तुओं के पकड़ने ्ार उठाने में सद्दायता देती डे ।
इस प्रकार दाध में ३० दृड़ियाँ देती दें शर्थात्त १ चाह
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