फ्रांस का इतिहास | France Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.69 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी - Dr. Heramb Chaturvedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)16 फ़रॉस का इतिहास इसा सन् से अनेक शताब्दियों पूर्व का वर्णन करने वाले इतिहासवेत्ताओ के मतानुसार यूरोपीय महाद्वीप के पश्चिमी छोर पर एक सु-परिभाषित क्षेत्र था समुद्र व पवत-श्रखलाओ के विभाजनो से स्पष्ट सीमाओ के साथ एक निश्चित भोगोलिक इकाई की पहचान सुगम थी । इस भौगोलिक इकाई-जो बाद मे फ्रॉस के नाम से प्रसिद्ध हुई थी - के दक्षिण में भूमध्यसागर व पायरनीस पर्वत श्रृंखला पश्चिम मे - अटलाटिक महासागर तथा पूव मे ऐल्प्स पवत-श्रुखला - सीमाओ का निधारण करती थी | इस प्रकार से तीन दिशाओ मे निश्चित प्राकृतिक सीमाओ वाले क्षेत्र को इसवी की प्रथम सदी तक सम्राट जूलियस सीजर की प्रतीक्षा करनी पड़ी जिसने फ्रॉंस को चौथी प्राकृतिक सीमा-राईहन क्षेत्र के रूप में प्रदान कर दी एक लम्बे समय तक इस सुपरिभाषित सीमाओ वाले क्षेत्र का कोई नाम नहीं था। इसा पूर्व की दूसरी शताब्दी से गौलिया (08120) अधवा गौल (090) के सम्बोधन का प्रयोग इस क्षेत्र के लिए किया जाने लगा गौल की सुपरिभाषित प्राकृतिक सीमाएँ अभेद्य नहीं थीं - पायरनीस व ऐल्प्स दोनो ही पर्वत श्रूखलाएँ अपने दर्रों के लिए प्रसिद्ध थीं और राइहन जिसे कि सुलभता से पार किया जा सकता था - उसके द्वारा भी इस भौगोलिक क्षेत्र की घाटी मे उत्तर व मध्य युरोप से जनजातियों के रूप मे लोगो का आगमन शुरू हो गया सु-परिभाषित व स्पष्ट सीमाओ के साथ - साथ सभी ओर से जुड़ा हुआ गौल सौभाग्यशाली था कितु ये ही भोगोलिक तत्व उसके दुभाग्य के लिए भी उत्तरदायी साबित हुए - सदैव आक्रमणकारियो को लालायित करता-सबका ध्यानाकषण का केद्र बना रहा अत अनेक शताब्दियो तक गौल अनेक जनजातियों के क्रमिक आक्रमणो का क्रौडा-स्थल रहा है तथा इसी कारण से इन जनजातियों का विशाल मिश्रण-स्थल भी रहा है छठवों शताब्दी ईसा पूर्व मे इस सुपरिभाषित क्षेत्र वाले देश (यदि आप ऐसे सम्बोधन की अनुमति दे तो) मे जो जनजातियों मौजूद थीं उन्हे लिग्यूस (180८5) या लिग्यूरियन कहा गया ह तथा ग्रीक ने उन्हे 1४४८७ और ये सपूण पश्चिम यूरोप मे ही फैल गए थे। तत्पश्चातू दक्षिण से आइबेरियन (05) जनजाति के आगमन से लिग्यूरियन पृष्ठ-भूमि मे ठकेल दिए गए यही नहीं मारसियल्स (0५ा561॥165) के क्षेत्र मे ग्रीको (0७6८५) का आगमन सर्वाधिक महत्वपूर्ण था - गौल्स (09015) के जनक माने जाने वाले केल्ट्स (0८08) के आक्रमण-भीं लिग्यूरियन को समाप्तप्राय करने मे उत्तरदायी तत्व
User Reviews
No Reviews | Add Yours...