१७८९ की क्रान्ति के पूर्व योरप | 1789 Ki Kranti Ke Purv Yorap
श्रेणी : इतिहास / History, विश्व / World
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
547.24 MB
कुल पष्ठ :
746
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७८९ की क्रान्ति के पूर्व की समस्या के दमा कदर
.. (२. स्वतन्त्र किसानों को इन सेवाओं के बदले में धन देना होता था जो
... एप व०टए कहलाता था । कृषक की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को यह
कर दु्ुना देना होता था । यदि कृषक अपनी जमीत बेचता था तो. उसको उसके.
*. मुल्य का ८ भाग जमींदार को देना होता था | ल्
(३) चचें को कृषक अपनी आय का दशांश (ए५0€) देते थे ।
ं (४) भूमिकर (7४116) कृषकों से उनकी आर्थिक अवस्था के अनुसार लिया
... जाता था । अनिष्चित टंक्स होने के कारण ठेकेदार बहुत अधिक टंव्स वसूल
करते थे ।
........ (४) इसके अतिरिकंत किसानों पर आय-कर. (८७८ पदों भी था । यह
.. उनकी आय का दूं भाग होता था
ह (६) किसानों से पोल टंक्स (०11 पड) नामक एक साधारण कर भी
_ लिया जाता था ।
(७) कृषकों को नमक पर भी टंक्स देना होता था । यह था 85
:... कहलाता था । नमक का एकाधिकार एक कम्पनी का था । प्रत्येक व्यक्ति को वष
'.. भर में ७ पौंड नमक खरीदना पड़ता था । पथुओं के खिलाने के लिये उन्हें अलग
... नमक खरीदना पड़ता था । कम्पनी बहुत ऊंचे दाम पर नमक बेचती थी । जो
_ लोग नियमित मात्रा में नमक नहीं खरीदते थे उनको दण्ड दिया. जाता था । नमक ..
. के गरकातूनी व्यापार में प्रति वष॑ तीस हजार व्यक्तियों को दण्ड दिया. जाता था
. तथा ५०० को मृत्यु-दण्ड दिया जाता था । पद हे;
(८) सड़कों की मरम्मत के लिये भी कृषकों को अपनी सेवाएं अपित करनी ..
होती थी । इस परिश्रम को 00४८८ कहते थे ।
(£) युद्ध आदि अवसरों पर भी किसानों को राजा को टैक्स देने होते थे ।
_..फ. कर वसुल करने के लिए सरकारी कमंचारियों की व्यवस्था न थी ।
इसके लिये ठेकेदार , नियुक्त किये जाते थे । थे सरकार को तो एक निश्चित...
रकम देते थे तथा स्वयं मनचाहा धन वसुल करते थे ।. इस अव्यवस्था पर नियस्त्रण ......
रखने के लिये सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया । इस प्रकार कृषकों को ८०...
प्रतिज्यत धन करों के रूप में सरकार, सामन्त तथा चचें को देना होता था। शेष
२० प्रतिदयात धन में ही वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे । इससे उनकी
-आधिक अवस्था बहुत खराब थी ।. अन्न के अभाव में वे गाजर, सुली तथा शलजम
आदि खाकर अपना पेट भरा करते थे। मम न गप ए
....... व्यापार तथा उद्योग धन्धों को अवनति--इस समय फ्रांस का व्यापार भी...
लक अवनत दया में था । देश में स्थान-स्थान पर. चूँगी लगती थी । देश में कई.
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