१७८९ की क्रान्ति के पूर्व योरप | 1789 Ki Kranti Ke Purv Yorap

1789 Ki Kranti Ke Purve Urvpe by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७८९ की क्रान्ति के पूर्व की समस्या के दमा कदर .. (२. स्वतन्त्र किसानों को इन सेवाओं के बदले में धन देना होता था जो ... एप व०टए कहलाता था । कृषक की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को यह कर दु्ुना देना होता था । यदि कृषक अपनी जमीत बेचता था तो. उसको उसके. *. मुल्य का ८ भाग जमींदार को देना होता था | ल्‍ (३) चचें को कृषक अपनी आय का दशांश (ए५0€) देते थे । ं (४) भूमिकर (7४116) कृषकों से उनकी आर्थिक अवस्था के अनुसार लिया ... जाता था । अनिष्चित टंक्स होने के कारण ठेकेदार बहुत अधिक टंव्स वसूल करते थे । ........ (४) इसके अतिरिकंत किसानों पर आय-कर. (८७८ पदों भी था । यह .. उनकी आय का दूं भाग होता था ह (६) किसानों से पोल टंक्स (०11 पड) नामक एक साधारण कर भी _ लिया जाता था । (७) कृषकों को नमक पर भी टंक्स देना होता था । यह था 85 :... कहलाता था । नमक का एकाधिकार एक कम्पनी का था । प्रत्येक व्यक्ति को वष '.. भर में ७ पौंड नमक खरीदना पड़ता था । पथुओं के खिलाने के लिये उन्हें अलग ... नमक खरीदना पड़ता था । कम्पनी बहुत ऊंचे दाम पर नमक बेचती थी । जो _ लोग नियमित मात्रा में नमक नहीं खरीदते थे उनको दण्ड दिया. जाता था । नमक .. . के गरकातूनी व्यापार में प्रति वष॑ तीस हजार व्यक्तियों को दण्ड दिया. जाता था . तथा ५०० को मृत्यु-दण्ड दिया जाता था । पद हे; (८) सड़कों की मरम्मत के लिये भी कृषकों को अपनी सेवाएं अपित करनी .. होती थी । इस परिश्रम को 00४८८ कहते थे । (£) युद्ध आदि अवसरों पर भी किसानों को राजा को टैक्स देने होते थे । _..फ. कर वसुल करने के लिए सरकारी कमंचारियों की व्यवस्था न थी । इसके लिये ठेकेदार , नियुक्त किये जाते थे । थे सरकार को तो एक निश्चित... रकम देते थे तथा स्वयं मनचाहा धन वसुल करते थे ।. इस अव्यवस्था पर नियस्त्रण ...... रखने के लिये सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया । इस प्रकार कृषकों को ८०... प्रतिज्यत धन करों के रूप में सरकार, सामन्त तथा चचें को देना होता था। शेष २० प्रतिदयात धन में ही वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे । इससे उनकी -आधिक अवस्था बहुत खराब थी ।. अन्न के अभाव में वे गाजर, सुली तथा शलजम आदि खाकर अपना पेट भरा करते थे। मम न गप ए ....... व्यापार तथा उद्योग धन्धों को अवनति--इस समय फ्रांस का व्यापार भी... लक अवनत दया में था । देश में स्थान-स्थान पर. चूँगी लगती थी । देश में कई.




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