वेद- विद्या- निदर्शन | Ved Vidhya Nidarshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.44 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्ञान॑ सांख्यं पर॑ मतमु
महाभारत, शान्तिपवं ३०७1१०१ ॥
नास्ति सांख्यसम ज्ञानमु
विज्ञान के अध्ययन में सज्ञाप्ो का. यथा ज्ञान श्रत्या-
वद्यक है । वेद श्रौर ब्राह्मण का श्राधिदैविक पक्ष उच्चतम
विज्ञान का. सर्वोत्क्ृिप्ट निदर्शन है। यह विज्ञान आ्रादि में ही
पूर्ण श्रौर विधिप्ट सनज्ञाशों में व्यक्त था, ग्रत उनसे अधिक
उत्तम-सज्ञाएँ ससार में न चन सकेगी ।
पाध्चात्य विज्ञान शर्ने शने उन्नति की शोर जाने के
यत्न में है, श्रौर उसकी सज्ञाएँ भी । श्रत श्रभी त्तक ये सज्ञाएँ
अ्रयूरी, कालान्तर में परिवर्तनशील श्रौर कभी-कभी उलटी
दिशा को भी जाती है ।
्रतएव वैदिक-विज्ञान को पाइचात्य सज्ञाओ में प्रकट
करने का यत्न करना वैदिक-विज्ञान को निस्सन्देह विकृतत
करना है । इसके विपरीत पाइचात्य विज्ञान को वेदिकर्रविज्ञान
को सहायता लेकर श्रपनी सश्ञाद्रो को श्रधिक सार्थक तथा
व्यापक श्रौर झ्पने विज्ञान को भ्रधिक यथार्थ बनाना चाहिए ।
ग्रगला सन्दर्भ इस दिला में प्रथम प्रयास है 1
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