वेद- विद्या- निदर्शन | Ved Vidhya Nidarshan

Ved Vidhya Nidarshan by पं. भगवद्दत्त - Pt. Bhagavadatta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञान॑ सांख्यं पर॑ मतमु महाभारत, शान्तिपवं ३०७1१०१ ॥ नास्ति सांख्यसम ज्ञानमु विज्ञान के अध्ययन में सज्ञाप्ो का. यथा ज्ञान श्रत्या- वद्यक है । वेद श्रौर ब्राह्मण का श्राधिदैविक पक्ष उच्चतम विज्ञान का. सर्वोत्क्ृिप्ट निदर्शन है। यह विज्ञान आ्रादि में ही पूर्ण श्रौर विधिप्ट सनज्ञाशों में व्यक्त था, ग्रत उनसे अधिक उत्तम-सज्ञाएँ ससार में न चन सकेगी । पाध्चात्य विज्ञान शर्ने शने उन्नति की शोर जाने के यत्न में है, श्रौर उसकी सज्ञाएँ भी । श्रत श्रभी त्तक ये सज्ञाएँ अ्रयूरी, कालान्तर में परिवर्तनशील श्रौर कभी-कभी उलटी दिशा को भी जाती है । ्रतएव वैदिक-विज्ञान को पाइचात्य सज्ञाओ में प्रकट करने का यत्न करना वैदिक-विज्ञान को निस्सन्देह विकृतत करना है । इसके विपरीत पाइचात्य विज्ञान को वेदिकर्रविज्ञान को सहायता लेकर श्रपनी सश्ञाद्रो को श्रधिक सार्थक तथा व्यापक श्रौर झ्पने विज्ञान को भ्रधिक यथार्थ बनाना चाहिए । ग्रगला सन्दर्भ इस दिला में प्रथम प्रयास है 1




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