महाभारत महाकाव्य में नीति एवं आचार | Mahabharat Mahakavy Mein Neeti Avam Aachar
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45.6 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कु० दीपा शर्मा - kumari Deepa Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाभारत कालीन संस्कृति का आधार विशाल मानवता है। उसके पात्रों में सर्वेत्र मानव आदर्श निहित है। उनकी अच्छाईयों बुराईयों उनके शुभ पक्ष और अशुभ पक्ष में सर्वत्र इसी मानवता का भाव अन्तर्निषित है। महाभारत में यद्यपि कौरव पाण्डवों के महायुद्ध का आख्यान वर्णित है तथापि उसकी परणति मानव जीवन की स्थायी व्यवस्था में हुई है। इसलिए उसे शान्त रस का ग्रन्थ कहा गया है। उसकी वस्तु स्थिति को स्पष्ट करते हुए स्वयं उसके निर्माता ने कहा है मनुष्य चारों वेद उसके अंग और उपनिषद् विद्या में भले ही पारंगत हो किन्तु जो इस आख्यान को नहीं जानता है उसे विज्ञक्षण नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ये महान आख्यान एक साथ ही अर्थशास्त्र धर्मशास्त्र और काव्यशास्त्र भी हैं | .... इसलिए जिस मनुष्य को यह आख्यान रुच गया उसकी दृष्टि में. दूसरे आख्यान वैसे हीं सूखे एवं नीरस हैं जैसे कोकिल की मधुरवाणी के सामने कौए के कर्कश बोल | महाभारत की संस्कृति धर्म पर आधारित है। प्रत्येक सामाजिक के. लिए धर्माचरण आवश्यक बताया गया है। श्रुति-स्मृति जिन आचरणों का विधान करती है उनका परिपालन ही धर्माचरण है। धर्माचरण न. केवल इस लोक अपितु परलोक के लिए भी कल्याणकारी है वही मोक्ष का कारण है उसके अनेक अवान्तर भेद हैं यथा युगधर्म देशधर्म 1. यो विद्याच्चतुरो वेदान्साडोपनिषद् द्विंज 1 .. न चाख्यान मिदं विद्याननैव स स्याईिचक्षण _. अर्थशास्त्रमिदं प्रोक्तं धर्मशास्त्रमिदं महत। व . कामशांस्त्रमिंदं प्रोक्तं व्यासेनामितबुद्धिना। । _ . .. महा.-आदि पर्व-अध्याय-2. 2 श्रत्वा स्विद्मुपाख्यानं श्राव्यमन्यत्र रोचते।. सम रियो पुस्कोकिलगिरं श्रुत्वा रुक्षा ध्वांक्षस्य वागिव।1 ...... महा.- 1/2/84 3. महा -12/142/19 कस
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