रूस में पच्चीस मास | Rus Men Pachchis Mas [ Yatra ]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डराने में प्र करने के लिये आप्त २५ पौंडों पर हाथ ढालना था। २० पींड के चैक के बक शाहशाही से १२८ तुमान मिले जिसम ७५ तुमान तो तेहरान की बस वा किराया दोना पडा तीन तुमान मूसा सहिब को शोर साढ़े चार तुमान मजूरो को मी | पेर्ता के पर उग आ्ाये थे उनके उड़ते देर नहीं लग रही थी । सूर्यास्त के समय बस रवाना हुई 1 ७ नवम्बर के दिन और रात चलते रहे । श्रणारी गाव में बारह बजै रात को थागाम के लिए ठहरे । उतताक ( कमरे) का रि्रिया दो तुमान ( रुपया ) दे दिया लेफिन पीडे पिरु्रों से परास्त हो बाहर हौटना पडा । सरेरे फिर चले । संमनान वी मेँटइयों का पता नहीं था घन तो वहाँ बेब पकने घर खडे थे पेटोल जी निस्ल चाया था 1 रेल मी श्रा गत भी किन्तु हर्म ती बस ही से तेहरान पहुँचना था । दोपहर बाद हानियाबात में रूसी खोगी श्रार । सोवियत बींसस का दिया पास यहां दे दिया । पास लेने वाला रूसी संनिक बहुत रूख था ययपि बही बात उसके एसियाई साथी की नहीं थी हमारी बस में श्वथिकतर यारी तंत्रेजी तुर्र थे जिनमें टोपवाधों से पंगरीवाले श्रथिक थे । साय में कारतूस मालाधारी एक सवारी धफसर साहियच थे जो श्रपने तिरियाक ( ब्रपीम ) वी बडे दिखलाये के साथ पीना पसन्द बरते थे- कोवून के बाबा जो थे । ३० ३२ क्लिमीतर तेहरान रह गया था जम कि उनवा तिरियाक पकड़ा गया । पहिले उहोंने कुछ रोब दिखलाना चाहा म्न्तु उससे कुछ बननेबाता नहीं था बस सुरी रही | कारतूवी माला डाले अमिमान के पृतले तिरियारी साहब ने ५०० तुर्मान रिश्वत के गिन दिए श्रोर साथ ही उ हैं धफौम से भी हाय धोना पड़ा फिर जाकर छुट्टी मिली | हम सात बजे रात वो ईगन पी राजधानी ( तेहरान ) मे पहुँचे | पढिसे हो वहीँ पेर रखने वी जगत बनानी थी रिरु सोवियत बीजा गी सरिफर में पड़ना था । चिराग्बफ सडक पर ४ कह कर ६ तुसान रोज का एक कमरा मुसाफिरखाना तेहरान म मिला । उसा रान पता लगा यहां २० तुमान ( रुपया) रोज से कम खर्च नहीं परेंगा श्रोंर हमारे पास थे केवल २




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