आधुनिक भाषा विज्ञानं और हिंदी भाषा संवर्धन | Adhunik Bhasha Vigyan Aur Hindi Bhasha Sanvardhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( 2 इस प्रकार विचार कर देखा जा सकता हैं कि उक्त महिला ने “सुचना शब्द (स्त्रीलिंग) का प्रयोग प्राय. किया होगा या उपत वाक्य बोलते सयय “सुचना गब्द मस्तिप्क में नहा होगा आर उसने बदले अंग्जी का शब्द 'नोटिस' लेकर हिंदी की बावय रचना कर डाली । या वे सुचना शब्द का प्रयोग करना चाहती होगी लेकिन अनायास ही भग्रेजी ग्रव्ट 'लोटिय' वीच में जोड़कर “सूचना” शब्द के लिंग को लेकर वाक्य कह दिया होगा । इन संभावनाओं थे इन्क/र नहीं किया जा सबता घब हुमे निदान करना होगा कि अप्रेज़ी शब्दों का लिंग क्या हो ? इस संबंध में प्रो० कैनाण चर भाटिया, आचाय हुजारी प्रसाद दूविवेदी भोर डॉ धीरेस्टर वर्माजी ने अपने-अपने विचारों के साथ नियम थी प्रस्तुत किए है । अंग्रेज़ी गब्दो के प्रयोग में शब्दों का लिंग कभी स्त्रीलिंग कभी पुल्लिंग में करने के कारणों का प्रस्तुतीकरण एक छोटे से सर्वेक्षण से प्राप्त आाकड़ो के आधार पर किया गया है । जिसे यहाँ 'प्रयोय' शीपंक के अतर्गंत' प्रस्तुत किया गया है । हप' और “अर्थ के आधार पर लियम प्रस्तुत किए गए हैं । प्रस्तुत शीपंक का विपय अपने आय में ही उलशा हुआ है । इसलिए इस सबध मे मतभेव हो सकते है । अंग्रेजी शब्दों के लिंग निर्धारण के आधार (1) प्रयोग (2) रूप (3) अर्थ (1) प्रयोग हिंदी में प्रयुकत अंग्रेजी शब्दों का लिंग क्यां हो यह वक्ता के प्रयोग की प्रष्ठ- भूमि पर निर्भर करता है « प्रयोग की पृष्ठभ्रूमि को मुख्य चार वर्गों में रखा गया है-- (अ) प्रयोगकर्ता/वकक्‍ता की मातू भाषा [वा क्षे्रीय प्रभाव] (ब) अंग्रेजी शब्द के समतुल्य हिंदी शब्द 1 (स) अग्रेजी शब्द के साथ आने वाला शब्द । (द) सग्रेज़ी शब्द बाली वस्तु से मिल्ती-जुलती चस्हु के लिए शब्द । प्रयोग की इन चार पृष्ठभूसियों पर विचार के सपरात रूप और जर्थ के संबंध पर विचार किया जाएगा 1 (कि) प्रधोगकर्ता[विक्ता की मातू भाषा [या क्षेत्रीय प्रभाव] प्राथ- यह देखा गया है कि वक्ता की सात भाषा में यदि अग्रेजी भाषा के शब्द का लिंग, स्त्रीलिंग है तो हिंदी भाषा से वक्ता स्वीलिंग और यदि पुल्लिंग हैं तो वक्ता हिंदी भापा में पुल्लिग ही प्रयोग करता है ।. जैसे--हॉस्पिटल, ऑफिस भर होटल सिंधी भाषा में स्तीलिंग मानने के कारण सिंधी भापी हिंदी में इनको स्तीलिंग से दी प्रयोग करते देखे जा सकते है । जवकि हिंदी भाषियों के लिए इनका पुश्लिंग प्रयोग स्वीकार्य हैं । इसी प्रकार पंजाबी और कश्मीरी थाथियों के मुख से




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