श्री राधा - माधव - रस - सुधा | Shri Radha Madhav Rasa Sudha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.46 MB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीराघा-माघव-रस-सुघा रू तुतीयं गीतम श्रीराघासबिंघे श्रीकृष्णस्प भावनिवेदनमू (९) समाराध्ये राघे त्वयि चसति नित्यं मम मन- स्त्वदीक्षाभिक्षाथ स्वदमधिशये गोझलगृहम् । तवैवाप्तुं ज्ञात परमरसवच्तं रसयितुं दिवा नक्तं श्राम्यन्नयि मुरदिकां स्वाँ सुखरये ॥। (२) स्नाहुं तह याम्यत एवं हेतो- 0 ७ दक५ यंमस्वसुश्चोपविशामि तीरें दृष्टु॑. हिं. रुपाइतमाघुरी ते कीसेय सदास्ति मच्ित्तमपास्तथेय् । (३) तले. कदम्बस्य..... बसाम्यतोर्ई त्वामेव नित्य परिंचिन्तयामि रद्रूपसुस्वातिषयोउशियातु १छाश्यद. चातकातू . सदृध्ण ॥ (४) । चीलवपु्ुणानां सदा सना. से... मघुभाधुरीयम अतोघ्निशं.. प्रेम. सवाशिगायनू न तत्र सीनः स्वमधषि स्मराधि ॥
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