शिक्षा और स्वतंत्रता | Shiksha Aur Swantatrata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 १. ..... शिक्षा और स्वतन्त्रता समय इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि कहीं वह अपने देश के शिक्षा-जगत में प्रचलित दाब्दों का इस सन्दर्भ में गत अथं न लगा बंठे । इंगलैंड में कुछ प्राइवेट स्कूलों के लिए. ' पब्लिक स्कूल' का प्रयोग इसका स्पष्ट उदाहरण है । इसी प्रकार इंगलैंड में 'माध्यमिक शिक्षा (5००००तक्षार छतप्ट8पं०ण)' का अभिप्राय भी वह नहीं लिया जाता जो संयुक्तराज्य में लिया जाता है । यह बात अवश्य है कि यह परिवतंत अभी हाल में हुआ है । इसी बात को स्पष्ट करते हुए इंगलैंड तथा वेल्स के शिक्षा मन्त्री में सन्‌ 1946 में लिखां था-- “ 'सर्वसामान्य के लिए माध्यमिक शिक्षा के अथं के विषय में लोगों में अ्रान्त धारणा फैल गई है। 1944 तक “माध्यमिक का . अभिप्राय था एक ऐसे विद्वेष प्रकार के स्कूल से जिससे केवल समाज का एक अल्प वगं ही लाभान्वित हो सकता था । ऐसे स्कूलों में अध्यापक अधिक योग्य हुआ करते थे तया उनका वेतन भी अन्य स्कूलों के अध्यापकों की अपेक्षा अधिक होता था । इनकी कक्षायें छोटी हुआ करती थीं साथ ही साथ इनकी आहाते-तथा अन्य सुविधाएँ भी पड़ोस के दूसरे स्कूलों से कहीं अधिक आकषंक हुआ करती थीं । इन स्कूलों में बड़े मेधावी छात्र शिक्षा प्राप्त करते थे जिनका प्रवेश प्रतियो गितात्मक परीक्षा द्वारा होता था अथवा ऐसे विविध योग्यता वाले छात्र जिनके साँ-बाप इनकी फोस दे सकते थे । इस प्रकार का. माध्यमिक स्कूल अब भी बना रहेगा गौर अपने ढंग से काम करता रहेगा । सकल की सुविधा उन सभी बच्चों के लिए ज्यों की त्यों बनी रहेगी जिनके लिए इसकी शिक्षा-प्रणाली विशेष उपयुक्त समझी जायगी । किन्तु यहू तो ऐसा माध्यमिक सकल है जहाँ विशेष रुझान और अभिरुचि वाले विद्यार्थी ही जा सकते हैं । भविष्य में विविध प्रकार के माध्यमिक रंगे और इनमें विविध पाठ्यक्रम भी होंगे । वस्तुतः थे. सकल बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान करेंगे जो आवश्यकता के बिलकुल अनुरूप हो । इन सभी. स्कूलों में वे सारे साधन और सुविधाएं प्राप्त होंगी जो अब तक, विशेष रूप से उन स्कूलों में रहती थीं जो 1944 तक सेकेण्डरी स्कछ कहलाते थे ।” _.... सन्‌ 1952 से लेकर आज तक ऐसी स्थिति है कि इंगलैंड में 11 से 12 'वष तक को आयु के लगभग 71 प्रतिशत लड़के और लड़कियाँ सरकार द्वारा _ पोषित विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा (र०08०80कापं८) प्रारम्भ करते हैं। इनमें से लगभग 6 प्रतिशत बाद में दूसरे स्कूलों को चले जाते हैं--अर्थात्‌ 4.5




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