चिरंतन | Chirantan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Chitaranjan by कुलवंत सिंह - Kulwant Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

कुलवंत सिंह - Kulwant Singh

जन्म : 11 जनवरी, रुडकी, उत्तराखंड

प्राध्यमिक शिक्षा : सरस्वती शिशु शिक्षा मंदिर करनैलगंज गोंडा (उ.प्र.)

हाईकल / इंटरमीडिएट : ब्राम्हण संस्कृत विद्यालय, रुडकी

उच्च शिक्षा : बी टेक, आई. आई .टी. , रुडकी (रज़त पदक एवं 3 अन्य पदक)

पी एच डी : मुंबई युनिवर्सिटी

रचनाएं प्रकाशित : साहित्यिक पत्रिकाओं, परमाणु ऊर्जा विभाग, राजभाषा विभाग, केंद्र सरकार की गृह पत्रिकाओं, वैज्ञानिक, विज्ञान, आविष्कार,
अंतरजाल पत्रिकाओं में साहित्यिक एवं वैज्ञानिक रचनाएँ ।

पुस्तकें :
1- परमाणु एवं विकास (अनुवाद)
2. - विज्ञान प्रश्न मंच
3 - कण क्षेपण (विज्ञान) अप्रकाशित

काव्य पुस्तकें :
1 - निकुंज (काव्य अंग्रह)
2 - शही

Read More About Kulwant Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वंदना (माँ शारदा की) वर दे... वर दें... वर दे । शतदल अंक शोभित वर दें। मधुर मनोहर वीणा लहरी, राग स्रोत की छटा है हरी, कण कण आभा अरुण सुनहरी, तान हृदय में परिमित गहरी । उर में मेरे करुण भाव भर दे। वर दे ... वर दे .. वर दे। शतदल अंक शोभित वर दे । तरू दल पर किसलय डोले, पीहू पीहूं पपीहा बोले, मनय तरंगित नै हिंडोले, आशीष शारदा मन पट खोले । काव्य किलोल कर मधुरिम कर दें। वर दें ... वर दे .. वर दे । शतदल अंक शोभित वर दें। दविज विस्मित कलरव विस्मृत, सुरभि मंजरी दिगंत विस्तृत, नाचे मयूर झूमें प्रकृति, अंब वागेश्वरी संगीत निनादित । गीतों में मेरे रस द ताल भर दें। वर दे... वर ६ . वर दे । शतदल अंक शोभित वर दे ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now