सर्वपूजा | Sarvapuujaa
Book Author :
Book Language
मराठी | Marathi
Book Size :
769 KB
Total Pages :
22
Genre :
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लेखक भालचंद्र शंकर देवस्थली के बारे में कुछ जानकारी। जानकारी डॉ। हेमंत देवस्थली द्वारा प्रदान की गई है जो श्री भालचंद्र शंकर देवस्थली के पोते हैं।
वेद शास्त्र संप्रदाय भालचंद्र शंकर देवस्थली, 20 वीं शताब्दी के पहले भाग में महाराष्ट्र के वेदों और अन्य शास्त्र साहित्य में एक प्रसिद्ध विद्वान थे। अहमदनगर के मिशनरी स्कूल में संस्कृत पढ़ाने वाले श्री देवस्थली को संस्कृत के छंदों के कई रूपों के अपने क्रेडिट ट्रांसलेशन के लिए जाना गया था, हालांकि सरिता श्रीमद अध्यातमनारायण के अनूदित अनुवाद को उनकी रचनाओं में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। अनुवाद के साथ आने वाले नोट्स प्रसिद्ध साहित्यिक स्रोतों के उद्धर
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(Click to expand)( वसंततिलका. )
कर्पूर दे परम मोद मना सुवासें, ।
शोभा वरी रुचिर कांचनपात्रवासें. ॥
उदह्दीप्त होउनि मनोहर तेज जें बी; ।
तेणें करीन तुज आरति इंद ! सेबीं. ॥ ७९ ॥
नमस्कार. (शालिनी. )
सर्वातें तूं एक कल्याणदाता, ।
विश्व'चाही एक आधारताता ! ॥
केला तूतें थोर यन्नें सुभावें, ।
अष्टांगांहीं म्यां नमस्कार, पावे. ॥ ८८ ॥
( वंशस्थ. )
वचे, उरे, दृष्रिगुणे, तसेंच कीं, ।
करद्रयें, जार्तुयुगेंहि, मस्तकीं, ।।
तसाच जो पादयुगे, मनोगती, ।
प्रणाम अष्टांग तयास बोलती. ।॥ ८१ ॥|
नमीं अनंतासि सहस्रमूतिला, ।
सहस््रंपादाक्षिशिरोरुबाहुला, ॥।
सहस्त्रनामांकित शाश्वतता नमीं, ।
सहस््रकोटीयुगधारकासि मी. ।॥। ८२ ॥
प्रदक्षिणा. ( वसंततिलका. )
पापें करीं किति मंदीय इथें जहालीं, ।
जन्मांतरी तशिंच म्यां अति घोर केलीं; ।।
१ आनंद. २ सोन्याच्या भांड्यांत असल्यानें. ३ उत्पन्न करतो. ४ जगाचा,
७ वाणीनं. ६ गुडघ्यांनीं. ७ हजार पाय, हजार डोळे, हजार शिरे,
हजार मांड्या, व हजार हात यांनीं युक्त अशा. ८ कोट्यवथि युगे धारण
करणाराला. ९ चंडी देवीचें पूजन असल्यास एक प्रदक्षिणा, सूयाचें असल्यास
सात, गणपतीचें असल्यास तीन, विष्णूचें असल्यास चार, शंकराचें असल्यास
अर्थी प्रदक्षिणा. १० माझ्या हातून. ११ अन्यजन्मीं.
क
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