गूजराती काव्य संक्षेप | Gujarati Kavya Sankshep

55/10 Ratings. 1 Review(s) Add Your Review
Gujarati Kavya Sankshep by दळपत राम - Dalpat Ram

More Information About Author :

No Information available about दळपत राम - Dalpat Ram

Add Infomation AboutDalpat Ram

Sample Text From Book (Machine Translated)

(Click to expand)
र माठे परणावा रघुयीरने झुभलम् करवा काज; सहुसाथने तेंडी तमो, वेहेला पघारो आज. तमी सदा जशवत डो बोभासहित राजन, ते माटे बेहेला पथारजो मुञने करो पावन. ए विनति सेवक तणा ल्ख्यु तेह घरजो चत; कोटि गणु करी मानजो भूपति भाग्यवत. एम पत्र वाच्यी बस्िट्टे ते सुण्यो दद्षर्‍यशाय, यया मग्न ब्रझानदमा अतिहरख अग नमाय. सहु सभाने भूपे कह्यु जाने अवाने काज, प्रघानने कहे सकळ सेना करी ततपर आज. वीर बयो हरस्िया जे भरत शटुघन, सहु अवघपुरम! वात घाली लोक कंदेठे धन्य. राणोवासमा जइ राणियेने कर्यु राये जाण, झनकपुरनो पत्र ते सभळावियो निरबाण राणियो सहु आनद पामी उत्हट अगनमाय, ययी कौदाल्याजीने तदा ते हरस़ नव कहेवाय द्विजवर तणी सेवा करी सतो खियो पहुपेर, गीत मगळ गाय सरंवे येइ लोला लेहेर पदी अश्व गज रथ पाल्सी शणगारीया वाहन, बस्त्र आभूपण्ण घरी ततपर थया सहु जन. अवधपुरनी प्रजा सहु वेहेवारिया श्रीमत, जवा जनकपुर थया तत्पर जान बोभावत चलण सोभावत यद जान सरंवे वाझे बहु वाजिजरे सै-य सकळ शाणगारियु ते चळके च्ित्रवितित्ररे राग सामेरी दद्षएय राजा हर्या अपार, जनक्रपुर जावा करियो विचार, पडो वञजडाव्यो पुरमोझार, जान जावा सहु याओ तैयार.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now