आँचल | Aanchal

Book Image : आँचल  - Aanchal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

राहुल मेहता - Rahul Mehta

लेखक परिचय :=

राहुल मेहता, पुनर्वास विशेषज्ञ (बैचलर इन मेंटल रिटारडेशन, मास्टर इन स्पेशल एजुकेशन, विजुअल इम्पेयरमेंट)

राज्य में विकलांगता क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है. इन्हें दिव्यांगता पुनर्वास के अलावे | परियोजना प्रबंधन, अनुश्रवण व मूल्यांकन, बालअधिकार, प्रारंभिक शैशव देखभाल और विकास, महिला सशक्तिकरण, प्रलेखन और प्रशिक्षण का विशेष अनुभव है. संप्रति ये फ्रीलांस कंसल्टेंट के रूप में विभिन्न स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ जुड़ कर कार्य कर रहें हैं. इन्होने विभिन्न संस्थाओं के लिए प्रशिक्षण मार्गदर्शिका और सामुदायिक विमर्श मार्गदर्शिका तैयार किया है. पत्रिका के संपाद

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बच्चों के परवरिश के महत्त्व से हम सभी वाकिफ हैं. परवरिश निर्धारित करती है कि बच्चे कैसे बड़े होंगे और बड़े होकर कैसे होंगे. परवरिश की गुणवत्ता बच्चों की विकासात्मक क्षमता को प्रभावित कर उनके जीवन को दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाती है. बच्चे सिर्फ वही नहीं सीखते जो उन्हें सिखाया जाता है, वे देखकर और अनुभव कर भी बहुत कुछ सीखते हैं. अतः अभिभावक-बाल संबंधों के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश का भी बच्चों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. ये बच्चों के भाषा और संवाद, आत्मविश्वास, व्यक्तित्व, स्व-नियंत्रण, आपसी संबंध, समस्या-प्रबंधन, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सहित विकास के विभिन्न आयामों को निर्धारित करते हैं. भारतीय समाज में अनेक परंपराएँ और मान्यताएँ हैं. यह आम मान्यता है कि जिम्मेदारी बहुत कुछ सिखा देती है. हम बचपन से सुनते आये हैं कि घर बच्चों का प्रथम पाठशाला होता है और माता प्रथम शिक्षक. यही नहीं, माता-पिता हर बच्चे का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होते हैं. लेकिन क्या हर अभिभावक अपने सभी बच्चों का उत्तम पालक होते हैं? वे अभिभावक बनने मात्र से सब कुछ सीख नहीं जाते, अपितु ज्ञानार्जन और अनुभव से बेहतर अभिभावक बनते हैं. खुद गलती कर सीखने से बेहतर है, दूसरों के अनुभवों और गलतियों से सीख लेना. परवरिश संबंधी उल्लेखित छोटी-छोटी सीख अत्यंत सरल प्रतीत होती हैं, परन्तु इनका अनुपालन बच्चों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं. अधिकतर माता-पिता बच्चों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देते हैं, कभी अपनी इच्छा तो कभी अपने पेशा और सपने से समझौता करते हैं ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकें. बच्चों का जीवन सुरक्षित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर पाई-पाई जोड़ते हैं. परन्तु अनेक बार इन सभी प्रयासों के बावजूद बच्चों के जीवन और संरक्षण संबंधी अनेक महत्वपूर्ण आयामों को नजर अंदाज कर देते हैं. कभी ज्ञान की कमी और अनुभवहीनता के कारण तो कभी




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