कामसूत्र (भाग 4) | Kamasutra (Part 4)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोक-1. भार्यकारिणी गुडविथ देवबत्यतिमानुकूल्यन वर्तत।।1।। अर्थ- दो प्रकार की भार्या (पत्नी) होती हैं। 1. यही एकचारिणी अर्थात अकेली। 2. दूसरी स फा (सीतो कभी)। इन दोनों में पहले एकधारिणी अर्थात अकेली यानी पत्नी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। | जो पत्नी अपने पति को देवता के समान मानती है, पति की विश्वासपान होती है वहीं पतिव्रता होती है। लोक-2. तन्मतेन म्वचिन्तामात्मनि संनिवेशयेत।।2।।। अर्थ- इसके अंतर्गत एकधारिणी अर्थात अकेली बाली पत्नी के आचरण का वर्णन किया जाता है। ऐसी पत्नी को अपने पति की आज्ञानुसार घर की जिम्मेदारी ले लेनी चाहिए। क3. वैश्म घ शुणि सुसंस्थान विरचितविविधकुसुमं भूमितनं आपदर्शन विषयाधरित अलिक पूजिदेवतायतन यत।।3।। अर्थ- जिन घरेलू कामों में स्त्री लगी रहती है। उसका वर्णन इस शौक में किया गया है- शी को अपने घर की साफसुथरा रखना चाहिए। घर में फूल सजाकर रखे। आंगन को साफ-सुथरा तथा सुंदर बनाये। घर में सुबह दोपहर तथा शाम को पूजा-अर्चना करे तथा घर के अंदर पूजा-अर्चना की व्यवस्था सही इथे। ओक-4. न तोऽन्यदूस्थानां चित याक्मतीत गोनदयः।।4।। अर्थ- धार्य गोनींव का कथन है कि जिस गृहस्थी को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है। इससे बढकर और कुछ भी नहीं होता है। लोक-5. गुरुय भूल्यवर्गषु नायकजगजीयु तत्पतिषु व यथाई प्रतिपतिः।।5।। अर्थ- इस लोक में दो प्रकार के आधरणों का वर्णन किया गया है। जी को सास-ससुर, नंद-नंदोई तया नकों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। कि-6. परिपूर्तेषु च हरिताकदानिशुरुत्तम्दारकर्यपाजमदतपुष्पातमालगुल्मधिकारयेत्।।6।। अर्थ- प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सब्जियों की क्यारियां साफ-सुथरी पर बनाना चाहिए। इन क्यारियों में गन्ना, औरा, सरसों, अजमोट. सौंफ तदा तमास के पौधों को भी लगाना चाहिए। -7.कुम्जालकमल्लिकाजातीकुरप्टकलयमालिकातरमरक्षयायर्तजयाल्मानन्यां बहुपुष्यान्यामकोशीकपातलिका वृक्षवाटिकायां च स्थाण्डिलानि मनोनि कारयेत्।।7।।




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