लोरिकायन | Lorik Aur Chanda Ki Lok-gatha

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Lorik Aur Chanda Ki Lok-gatha by श्याम मनोहर पाण्डेय - Shyam Manohar Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४. परिचय देना पड़ता है । वह मंजरी को बार-बार आश्वासन देता है कि उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है । वह सिंहनी का पुत्र है । किन्तु मंजरी की चिन्ताएं कम नहीं होतीं । लोरिक भनेक वीरों को परास्त करता है भर मजरी को गउरा लाता है । विवाह के उपरान्त लोरिकायन में निम्नलिखित घटनाएं घटती हैं १९ मंजरी की विदाई होती है तब अगोरी का राजा मोलागत छापने सहायकों के साथ आकर मंजरी की डोली छंकता है । लोरिक की मार से मोलागत तथा अन्य सभी सहायक भाग खड़े होते हैं । २० मंजरी की डोली उठने पर मोलागत का का वीर भांट के यहाँ जाना । मोलागत का भाधघा राज्य पाने के लोभ में वीर भांट का लोरिक से लड़ने के लिए उद्यत होना । २१ लोरिक के प्रहार से भांट का खून से लथपथ होना और मैदान छोड़ कर भाग जाना । २२ मोलागत ने पश्टिम में बघेल राजाओं को पत्र लिखा जो तुपकी छोटी तोप चलाने में कुशल थे । उसने दक्षिण के कोल राजाओं को पत्र लिखा जो तीर चलाने में प्रवीण थे । पूर्व के राजाओं को भी उसने पत्र लिखा जो लोहा में तलवार चलाने में पद थे । उसने उत्तर के रक्‍्सेल राजाओं को पत्र लिखा जो सेला चलाने में तेज थे । यहाँ यह भी प्रकट होता दै कि मोलागत क्षत्रिय था । उसकी लड़ाई ग्वाल अद्दीर लोरिक से थी । मोलागत लिखता है यदि कोई क्षत्रिय है तो पत्र पाते ही अन्न खाना छोड़ दे । अन्न उसके लिए हराम है तथा पानी पीना रुघिर पीने के समान है । पृष्ठ १११ परदेशी अह्ीर चढ़ भाया है तथा अगोरी में संघर्ष छिड़ गया है । २३ लोरिक के हाथों समस्त सेनाओं की पराजय । दुर्गा सदेव गाढ़े समय में लोरिक की सहायता करती हैं । २४ लोरिक को मारने के लिए मोलागत द्वारा इन्द्रावत हाथी भेजा जाना । हाथी का प्रबल आक़मण--इन्द्रावत हाथी का सूंड दुर्गा द्वार पकड़ लिया जाना । रश् लोरिक को परास्त करने के लिए मोलागत के भांजे निरस्मल का गझाना--निरम्मल द्वारा बार-बार आक्रमण किया जाना । दुर्गा की सहायता से लोरिक का बच जाना । २६ लोरिक का महूंकार--दुर्गा को श्रेय न देने से लोरिक युद्ध में आहत भोर मृत । २७ दुर्गा के प्रयास से लोरिक जीवित ।




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