केश निर्णय | Kesh Nirnd-ay

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Kesh Nirnd-ay by शिवरामदास उदासीन चक्रवर्ती - Shivramdas Chakravarti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४५ पर सानव धर्म है अरथता कोई श्रौर धर्म है श्रौर केदा कटवाने पाप का श्रर्थ भी यहां पर ईदवर की श्रोर से पाप है या किसी संस्था या ग्रुप सुसाइटी की श्रोर से स्थापित किया हुम्रा पाद्यू था यदि किसी संस्था की ग्रोर से विधान किया गया पाप था तो. दह प्राचीन समय में कौन सी ऐसी संस्था थी श्र उसका वर्रान कोन सी पुस्तक में है तथा यदि किसी एक संस्था ने यह विधान बनाया भी हो तो फिर भी वह मनुष्य मात्र के लिये मानने योग्य नहीं हो सकता किन्तु उस संस्था के सदस्यों के लिये ही मान्य हो सकता है श्रौर यदि ईदवर की श्रोर से पाप है तो कंसे क्योंकि ईइवर की बनाई हुई श्रप्य अनन्त वस्तुएं हैं जिन्हों को मथुष्य अपनी हानि झ्ौर लाभ को सन्मुख रख कर नष्ट करने का प्रयत्न करते हैं परन्तु फिर भी उत्हों को पापी नहीं माना जाता । शेप मुख्य धर्म का शझ्रथ यदि मानव धर्म है तो कैसे वयोंकि मानव धमं वहि हो सकता है जिसके बिना मरष्य ऑ्रध्यात्म और भौतक श्रादि कोई उन्नति ना कर सकता हो परन्तु सेकड़ों मनुष्य हो चुके हैं जिन्हों के सिर पर केश नहीं थे किन्तु भ्रध्यात्म श्र




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