काय चिकित्सा भाग - २ | Kaay Chikitsa Volume - Ii

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Kaay Chikitsa Volume - Ii by स्वामी विद्यानन्द - Swami Vidhyanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) एवं आहार-विह्वार ५७२, कफज मदात्यय चिकित्सा ५७२, त्रिदोषज मदात्यय चिकित्सा ५७३, ध्वसक भौर विक्षप ५७३, सामान्य चिकित्सा ५७३, पथ्यायथ्य प७३ । दादिश मध्याय यौनसंक्रमित रोग तथा यौनसनोगत विकार ५७४-५९.६ यौनसक्रमित रोग पुयमेह--पर्याय बौर परिचय ५७४, निर्वेचन ५७४, निदान ५७४, सक्रमण ५७५, सम्प्राप्ति ५७५, लक्षण ५७५, उपद्रव ५७५, चिकित्सासुत्र ५७६, चिकित्सा ५७६, व्यवस्थापत्र ५७८, पथ्यापथ्य प७८। फिरड्डरोग--पर्याय और परिचय ५७८, निदान ५७९, सम्प्रापति ५७९, सक़मण ५७९, फिर के प्रकार ५७९, उपद्रव ५७९, लक्षण ५८०, फिरगज तथा उपदंधनज ब्रण में अन्तर ५८०, चिकित्सासूत्र ५८१, चिकित्सा ५८१, व्यवस्थापनत्र ५८९२, पथ्यापथ्य ५८३ । उपदक--पर्याय और परिचय ५८३, निदान ५८३, सक्रमण ५८४, सम्प्राप्ति १८४, लक्षण ५८५, उपद्रव ५८५, चिकित्सासुन्न ५८५, चिकित्सा व्यवस्था ५८५, व्यवस्थापत्र ५८६, पथ्यापथ्य ५८७ । ,रतिजन्य बंक्षणीय कणिका्ुद--पर्याय भर पर्चिय ५८७, निदान ५८७, लक्षण ५८७, उपद्रव ५८८, साध्यासाध्यता ५८८, स्थानिक चिकित्सा ५८८ । बक्षणीय लप्कणिकारबुद--परिचय ५८८, निदान ५८८, संक्रमण १५८८, लक्षण ५८९, चिकित्सा ५८९, पथ्यापथ्य ५८९ । यौनमनोगत विकार योबापस्मार या हिस्टीरिया--परिचय ५८९, निदान ५९०, लक्षण ५९०, चिकित्सासूत्र ५९१, चिकित्सा ५९२, पथ्यापथ्य ५९३ । स्मरोन्माद--परिचय ५९३, निदान ५९३, लक्षण ५९३, काम की न दशाएँ ५९३, चिकित्सासुन ४९४, चिकित्सा ५९४, पथ्यापथ्य ४1 बलात्कार--अप्राकृतिक मैथुन के प्रकार ५९५, गुदसैथुन ५९५, हस्तमैथुन ५९५, एक स्त्री का दूसरी स्त्री के साथ मैथुन ५९६, पशुमैथुन ५९६, समलिद्धी मैथुन ५९६ । घ्रयोविश्ष अध्याय हघचा के रोग ५९७-देर९ कुष्ठरोग--परिचय ५९७, निषवेचन ५९७, निदान ५९७, सम्प्राति ५९८, पूर्वरूप ५९८, भेद ५९९, महाकुप्ठ मे दोष और नाम-सिन्नता ५९९, कुट्ठ के लक्षण ६००, क्षुद्कुप्ठ के लक्षण ६००, विचचिका ६०१, कुप्ठ मे दोषानुसार लक्षण ६०१, धाठुगत कुट्ठ के क्षण ६०१, साध्यासात्यता ६०९, सापेक्ष निदान ६०, कुट्ठ की सक्ाम- दे शा हि० सु० -




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