देशभर का दुश्मन | Desh Bhar Ka Dushman

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Desh Bhar Ka Dushman by राजनाथ पाण्डेय - Rajnath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ में वे कविता लिखने लग गए थे। पाठशाला में एक वघ अध्ययन करने के बाद ही १८४० में उन्होंने केटालीन नामक दुःखान्त गीति- नाव्य की रचना की । कुछ ही समय वाद एक रंग-मंच में उनकी नियुक्ति हो गई श्रौर १८६१ तक उन्होंने कई नाटक लिखे जिनका अभिनय हुआ पर इन कृतियों से उन्हें कुछ भी शान्ति और सन्तोष प्राप्त न । पिछले पाँच वर्षों ते लगातार श्रसफलता श्रसुविधा श्रौर झ्रभावों का सामना करने श्र नावें के अज्ञानपूरण वातावरण मैं इस प्रकार लगा- तार उपेनित होते से उनमें उपदास की श्रत्यन्त कट प्रदवत्ति पतप उठी थी। सन्‌ श्द६२ में प्रकाशित लवूस-कमेडी मैं उन्होंने सध्यवर्गीय समाज के वाग्दान श्रौर पाणिग्रहण के जीवन के भौंडेपन सपाट्पन और विज्ञापन-प्रमुख खोखलेपन का खुलकर चित्रण किया श्र पुरुष श्रौर स्त्री के प्रथानुमोदित सम्बन्ध की सुधमा को विषाक्त और कलुषित कर देने वाले तकल्लुफ या दिखावट के विरुद्ध आवाज उठाई | सन्‌ १८६३ में किंग्स मेकिंग की रचना हुई जो सफल श्रोर प्रिय कृति सानी गई किन्तु इब्सन की ये समस्त रचनाएं उस समय सर्वथा नवीन जीवन श्रौर चूतन दृष्टिकोण लेकर अ्ाने के कारण उनके देशवाहियों को शझ्रपरिचित और श्रनजान प्रतीत हुई । इसलिए उनके और जनता के बीच खाई सी होती गई जो लवूस-कमेडी में विवाह और शिजें के संबंध में व्यक्त विचारों के कारण श्र गहरी हो गई । वास्तव में लवूस-कमेडी में ईश्वर या घ्म का उपदास नहीं हुआ था | इस कृति के द्वारा इब्सन ने अपनी पीढ़ी को केवल यह बताने का प्रयास किया था कि परमात्मा की मरजी के सम्मुख चरम श्रात्मोत्सग--संपूणण अर अनन्य आत्मोत्सग--दी हमारा एक-मात्र कर्तव्य है श्र यह उत्सर्ग सिफ सधी हुई सुददू संकह्प-मावना द्वारा ही साध्य है । इस संकल्प- भावना के अभाव सें धर्म की चर्चा कोरी विडम्बना है । उन्होंने कहा था की भले ही यद शिकायत हो कि हमारा युग पतन श्र अधमता में डूब रद है पर मेरी शिकायत तो यह है कि लोग अझधम




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