कुरान शरीफ | Kuran Sharif
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
56.49 MB
कुल पष्ठ :
610
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२१ प्रथक घर्म का अनुयायी कहने लगे | ईश्वर को सर्वाग श्ात्ससमर्पण ही बास्तविक सनातन घम दै जिसका कौरानिक इस्लाम निर्देश करता दे | कुरान के श्रनुसार यह भी पुष्ट है कि मूल श्र शपरिवर्तनशोल धर्म के अतिरेकत दनिक व्यवहार देश-काल-पात्र के मेद से श्रावश्यकतातुसार बदलते रहते हैं । मुहम्मद साहब की पेग़म्बरी पर श्राक्षेप करते हये तत्- कालीन धंमांचाय कहते थे कि ईश्वर-दूत भला मनुष्य ही के समान सोता खाता है? उसे तो श्रलोकिक होना चाहिये। इस पर कुरान का कथन है कि नहीं पग़रम्बर भी तुम मनुष्यों के ही समान होता है सांसारिक धघर्मा में वह भी सकल जनों के समान ही बंधा है । वह तो भगवत्प्रेरणा से श्रली किक शान का जगत में प्रकाश करता श्रौर भूले हत्रों को राह बताता दे | घम प्रदशन के लिए ईश्पर प्रेरित सहान पुरुष मृत्यु पश्चात् श्रपने अनुयायियों द्वारा उपास्य देव श्रथवा ईश्वरत्व का साम्राज्य भोगने कगते हैं | जनता कभी इस आ्रान्ति में न पड़े इसलिये मुहम्मद केवल प्र रित मात्र हैं इश्वर उसके साथ में पूजा-उपासना के अधिकारी नहीं इस पर बहुत ज़ोर दिया गया है । कुरान में नारी का स्थान समाज की जननी श्रोर निर्माता नारियों की दशा उस समय अरब में श्रुति दयनीय थी | बद्द केवल विलास श्रौर सेवा की सामप्री समभी जाती थीं। उन्हें पुरुषों की बात का उत्तर तक देने का श्धिकार न था पक साथ श्रनेक परिनयाँ रखना यहां तक कि पिंता के मरने पर अन्य सम्पत्ति के समान उसकी ख्त्रियाँ भी पुत्रों में बाँट ली जाती थों । ऐवी विपरीत दशा में ख्रियों के लिए सम्पत्ति में उत्तराघधिकार तलाक मेहर विवाह में पत्नी को दिया जानेवाला दहेज श्र निकाह श्रादि के नियम श्रौर संयम कुरान में एक महान क्रान्ति के परिचायक हैं | श्रपनों निकाह की हुई पत्नी के शतिरिक्त किसी भी स्त्री के साथ व्यमिचार उतता ही निषिद्ध श्रौर दर्डनीय था जितना स्त्री के लिए. दुश्चरिंन्ना होना । कुरान का कथन है| स्त्री झथवा पुरुष जो भी व्यमिचार का दोषी हो उसे १०० कोड़े की
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