सहजानंद डायरी | Sahajanand Diary
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.9 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३. १६ जनवरी १६६० समस्त मनुष्य कितने है ? सुच्यगुरुके तृतीयवर्ग मूलसे गुण्णित प्रथम वर्गमूलका जगच्छ शिमे भाग देनेसें जो प्रदेश श्रावे उनकी गणनाप्रमाण में सिफे १ कम करके उतने सब मनुष्य है । इन मनुष्योमे भोगभूसिज मनुष्य मनुष्य कर्मभुमिज मनुष्य लब्ध्यपर्याप्त मनुष्य सभी प्रकारके मनुष्य सम्मिलित है । यह उक्त प्रमोण समभनेके लिये भाज्य व भाजक राधिका विवरण इम प्रकार है-- भाज्य राधि -- जगच्छणी है। सात राजू लम्बी क्षेत्र प्रदेश पक्तिकों जगछ शि कहते है। इसमे चौड़ाई मोटाईकी बिलकुल इष्टि नही है । भरत यदि समभनेके लिये कोई विवरण चाहे तो एक प्रदेश चीडी मोटी प्रदेशप कि समभना चाहिये । इन प्रदेशोका प्रमाण श्रद्धापत्यके श्रसख्यात्तवे भाग प्रमाण घनाज़ू लो को परस्पर गुणित करनेपर जो लब्ध हो उसमे जितने प्रदेग हो उतना है । भाजकराशि -- सूच्यगुलके प्रथम वर्गमूलसे गुरित सतीय वर्ग सूल प्रमाण है । जैसे सुच्य गुलके प्रदेश मानो २५६ है तो २४५६ का प्रथम वर्गसुल है १६ द्वितीय वर्गें मूल है ४ तृतीय वर्गे मूल है २ । झब प्रथम वर्ग सूल १६ तृतीय वगेमुल २०० ३२ भाजकराशि श्रर्थाद् झ्चहार राशि है । यह भाज्ञक राशि कई प्रकारसे निकाली ज्ञाती है जिसमेसे कुछ प्रकार लिखे जावेगे । ७ जनवरी १९६० मनुष्य झ्वहारकाल जिसका जगच्छ भाग देनेपर मनुष्य सख्या निकलती है-- १ सुच्य गुलके द्वितीय वर्गंमूलसे गुणित चृत्तीय वर्ग सूलका सुच्य गुल मे भाग देने पर । यथा-न बज २५६०५ रे९ पवहारकाल । २ सूच्यगुलके तृतीय वर्गमूलसे गुशित प्रथम वगंसुल प्रमाण । यथा-- २५६ १६३२ झ्वहार काल । ३ सूच्ययुलके दूसरे वगंसुलसे गुशित तीसरे वर्गसूलका सुच्यगुलके प्रथम
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