सुर पंच तंत्र | Sur Pancha Tantra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Sur Pancha Tantra by श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji

Add Infomation AboutShri Surdas Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ४ ) मूल सोत -श्रादि कारण--वासना ही है । वासना और तृष्णा शब्द प्रायः समानाधेंवाची से हैं | इस तृष्य्या के कार्य मनुष्य का चित्त किसी एक ठिकाने पर नहीं रदता | उयों-ज्यों एक वासना की पूति' होती जाती हे दूसरी वस्टु की तृष्या उसको विकल कर देती ।+ यह तृष्णा मनुष्य को उन्मत्त बना देती हे, इसी से कविकुलयुय श्रीगोस्वामी वुलसीदास जी कहते देँ-- * तूवना कैह्वि न कीन्ड बौराहा । ? सच हे, इस डाकिनी ने किसी भी मनुष्य को श्रपने चंगुल से नहीं छोड़ा । इसी से दम संसार में इघर भी दुश्ख उधर भी दुःख निघर देखो उधर दुःख दी दुःख देख पाते हैं । सवंत्र दुःख का ही साम्राज्य है, दुःख का दी बोलबाला हे । तो क्‍या इन दुःखों से छुटकारा पाने का कोई उपाय भी हे,या नहीं १ है, श्रवश्य हे, श्रौर वह उपाय दमने कोई नया श्राविष्कृत नहीं किया । हमारे पूज्यपाद क्यूषि-मद्षियों ने सतार के दुःखों से उन्मुक्त होने का एक मात्र उपाय यही बताया हे कि दुः्खों के देतुबूत वासनाशओं का दी मूलोच्छेद कर देना चाहिए | कैसा श्रमोघ उपाय हे ? जड़ ही नष्ट हो गई तो श्रक्कुर कैसा ? सोत दी सुखा दिया जाय तो प्रवाह' कहा ? हमारे मन में वासनाएँं दी न रहेंगी तो दुःख, क्‍्लेश श्रादि पैदाही कहाँ से होंगे ! वासना निदतति के साथ ही उनकी प्राप्ति के लिये जो उद्योग हमको करने पढ़ते थे, जो विकलता हमको उठानी पढ़ती थी उन सबका भी श्रन्त हो जायगा, उसके वाद किसी भी चीज़ को श्रमिलाषा न रद्द जायगी | प्रकृति में बहुतेरी खोई हुई वस्टुश्रों की पुनः प्राप्ति दे सकती है, लेकिन सबकी नहीं | जड़ जगत की वस्तुश्रों का सगं-स्पिति संठार का ताँता तो लगा ही रद्दता है, परन्तु झन्तजंगत की वावनाएँ मिटी सो मिट ही गई , फिर उनकी उत्पत्ति नहीं होती श्रौर सबंदा के लिये स्वप्नमात्र दोती हैं, तथा जन्म भर के लिये चली जाती हैं । छुकृवीर दास जी कहते ई--की दृहना है डाकिनी, की जीवन काल । श्र श्रौर निसदिन चहे, जीवन फरें विद्दाल | सू० प०न--र२ थ्




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now