भारतीय दर्शन का इतिहास भाग - १ | Bhartiya Darshan Ka Itihas Part-i

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Bhartiya Darshan Ka Itihas Part-i by डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४३ 6 चरक त्पाय-सूत्र और वैशेपिक सूत्र सर 2817 7 वेशेपिक गौर न्याय साहित्य हर ग भर 291 8 न्याय और बैशेपिक दर्शन के मुख्य सिद्धान्त , स 295 ९६८ पद पदार्थ-द्रव्य, गुण, कम; सामान्य, विशेष, समवाय , हर 299 10. कारणषाद सिद्धान्त कसम, 305 11 प्रलय गौर सृष्टि के २ तन 308 12' ईपवर के अस्तित्व का प्रमाण । +. नर / 310 13 न्याय वैशेषिक का भौतिकशास्त्त भस्म 311 14 ज्ञात का मूल (प्रमाण) मम 315 5 स्याय से चार प्रमाण न दि द+ 317 16 प्रत्यक्ष थ ««**.... ,.. 318 17 मनुमान कि ही ते 326 १8 उपमान शोर शब्द है है “हि कं, के «««« 335 19 न्याय-वेश्षेपिक दर्शन में 'अमाव' का स्वरूप, « «««,.. ,.... 336 20 मोक्षाकाक्षियों के लिए तकें का महत्व, -,... ०९- ..- उ0 21 मात्मा का सिद्धान्त हु ;०*... , . 342 ८22. ईश्वर और मोक्ष भू /+*+.. 343 , अध्याय-9 न्फ न द मीर्मासा दर्शन 1 तुलनात्मक विवेचन सफर 346 2 मीमांसा साहित्य उन 348 3 न्याय का “परत प्रामाण्य' सिद्धान्त और मीमासा का स्स्श 350 “स्वत -प्रामाण्य' सिद्धान्त 4. प्रत्यक्ष (बोध) में ज्ञानिन्द्रियों का स्थान मी 353 5. निर्धिकल्प और सविकत्प प्रत्यक्ष _ स्न्म्य 355 6 प्रत्यक्ष (बोध) सिद्धान्त से सम्बद्ध कुछ दार्शनिक समस्याएं था 356 7 ज्ञान का स्वसूप कर 359 8. श्रान्ति का मनोविज्ञान बा 361 9 अनुमान श्म् 364 10 उपमान, मर्थापत्ति नस 367 11. शब्द-प्रमाण ससमभ 369 12 मनुपलब्धि प्रमाण सर 371 13. आत्मा, परमात्मा और मोक्ष नन् 373 14. मीमासा-द्शेन भौर कर्म-कांड «८८ की 376 भा दि




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