आज का भारतीय साहित्य | Aaj Ka Bhartiya Sahitya

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Aaj Ka Bhartiya Sahitya  by डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnanप्रभाकर माचवे - Prabhakar Maachve

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प्रभाकर माचवे - Prabhakar Maachve

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ भ्राज का भारतीय साहित्य छांदिक विविधता की समृद्धि दी, मानो वे ही प्राकृतिक कल्पना-चित्रों को समृद्धि और ताज़गी से भरी नई फसल असमिया साहित्य में लाए । उन्होंने अपनी बहुत-सी कल्पना-प्रतिमाएँ नदी, नाव और नाविकोसे प्रेरित होकर बनाई हें । यतीन्द्रनाथ की एक पुरानी कृति अमर तीर्थ (१९२६) थी, जो कि खय्याम की रुबाइयों का एक भाव-कोमल और उत्तम अनुवाद है। वे अपने गद्यकाब्यों (कथा-कविता) के लिए विख्यात ही नहीं, बल्कि इस धारा में वे एकमात्र सफल असमिया लेखक हें । रत्नकांत बरकाकती की कविताओं में भौतिक प्रेम के कोमल भाव बड़ ही भ्राकषंक ओौर सुन्दर ढंग से व्यंजित हुए हैँ । रत्नकांत को रवीद्र- नाथ ठाकुर के अध्ययन से, विशेषत: छन्दों के मामले में, बहुत लाभ हुआ है । छंद के क्षेत्र में देवकांत बरुआ ने अ्समिया कविता में एक नया चमत्कार उत्पन्त किया। देवकांत ने अपनी प्रेम-कविताश्रों को उस नाट्यात्मक स्व-संवाद (मोनोलॉग ) के रूप में ढाला, जैसा कि राबटं ब्राउनिंग में पाया जाता है । डिम्बेश्वर निश्रोग और बिनन्दचन्द्र बर्आ ने कई सशक्त भवक्तपूर्ण ऋमबद्ध कविताश्रों की रचना की । उन्होंने मुख्यतः श्रसम के गौरवमय अतीत को उसके दुखद वर्तमान के विरोध में अंकित किया। जहां-जहां उन्होंने प्राचीन को फिर से उठाया है, রত, स्फूति और নরীলাল और भविष्यत्‌ के लिए प्रकाश पाने के लिए ही उठाया है। वे श्रपने पुरातन काल के श्रेष्ठ पुत्रों और पुत्रियों का स्मरण करके उगती हुई पीढ़ी को उनके आदशों पर चलने का आदेश देते हे । विदेशी सत्ता और शोषण की श्वरृंखलाओं को तोड़कर पुनः एक समृद्ध और जीवन की सब दिशाश्रों में प्रतिशी । असम के निर्माण का सन्देश देते हें। साहित्य, भाषा, संस्कृति, स -कुछ पुनः संजीवित करना होगा । अधिक ज्वलन्त देश- भक्तिपूणं ` विता प्रसन्नलाल चौधुरी के पद्यों में पाई जाती है। इस अ्रद्धंशताब्दी में जिन अनेक महिलाओं ने साहित्य को योगदान दिया, उनमें नलिनीबाला देवी सबसे अधिक प्रतिभाशालिनी हें । रहस्य-




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