सांख्यिकी | Statistics

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ 025 के दृष्टिकोण से सांख्यिकी मनुष्य के सामाजिक जीवन से सम्बन्धित वास्तविक तथ्यों के वैज्ञानिक एवं पद्धतिपुर्ण विवेचन के द्वारा कुछ समूह सम्बन्धी सिद्धान्तों का प्रतिपादन करती है। वेबस्टर छा८5८ ने भी इसी प्रकार की परिभाषा की है जिसके अनुसार सांख्यिकी किसी भी राज्य में रहने वाले व्यक्तियों से सम्बन्धित तथ्यों का एक वर्गोकृत स्वरूप है जिसका सम्बन्ध विद्वेष रूप से ऐसे तथ्यों से हे जिन्हें अंकों अंक-सारणोंयों अथवा किसी अन्य वर्गीकृत रूप में रखा जा सके । उपरोक्त परिभाषाओं में एक ही अंतंनिहित तथ्य हू कि सांख्यिकी एक समंक सम्बन्धी शास्त्र हे परन्तु सभी उसे केवल राज्य सम्बन्धी शास्त्र कह कर इस विज्ञान के क्षेत्र को संकुचित कर देते हे । आज इस शास्त्र का क्षेत्र राजकीय शास्त्र की संकुचित सोमाओं को पार कर अत्यन्त विस्तृत हो गया हूं और उसके अन्तगंत सभी क्षेत्रों में होने वाले सांख़्यिकीय अध्ययन सम्मिलित हे चाहे वे आकाश पाताल एवं पृथ्वी पर होने वालो घटनाओं के सम्बन्ध में हों । प्रोफेसर ए० एल० बावले ०८ के कथनानसार सांख्यिको एक ऐसा घास्त्र हे जो समाज में रहने वाले मनुष्यमात्र को क्रियाओं का अपनी समस्त प्रव्यक्तियों में अध्ययन करता हू । प्रोफेसर बावले स्वयं ही इस परिभाषा को अनुपयुक्त समझते हूं क्योंकि इसके अनुसार सांख़ियिकी का क्षेत्र संकुचित हो जाता हे और अध्ययन का क्षेत्र केवल मनुष्य और उसकी क्रियाओं तक ही सीमित रह जाता हे । ले प्ले 1.6 ?129 ने एक कुटुम्ब लेकर उसकी सभो प्रव्यक्तियों का अध्यपन किया था. परन्तु उसके अध्ययन के फलस्वरूप प्राप्त किए गए निष्कष सामान्य जीवन से विभिन्न पाय गए । सांख्यिको व्यक्तिगत-विषमताओं को कोई महत्व नहीं देती अतएव यदि अनेक व्यक्तिओं और कुटुम्बों के अध्ययन के फलस्वरूप कुछ निष्कर्ष निकाले जाए तो वे महत्वश्ाली होंगे । इसके अतिरिक्त सांख्यिकी के क्षेत्र का विस्तार होने के कारण हम उसके अन्तगंत न केवल एक सामाजिक प्राणी के प्रत्येक अंग का ही अध्ययन करते हें वरन्‌ जीव-विज्ञान ज्योतिष्य विज्ञान एवं अन्य शास्त्रों के अध्ययन में भी इसके महत्व का अनुभव किया जाने लगा हे । बडा 5छिंट उंड 16 &ठ6006 0 घि ए८85पाए€1ा८छ 04 पट 50021 ०१५50 6डथ्प066 25. 2 भाप रा दा उड उपद्धशाटिडाद्न पं 015 ? कक & -- य.- किए रा 1८ भा ०




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