भारत की एकता का निर्माण (२७ भाषण) | Bharat ki ekata ka nirman (27 bhashanen)

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Book Image : भारत की एकता का निर्माण (२७ भाषण) - Bharat ki ekata ka nirman (27 bhashanen)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कलापरपियारंड कलकत्ता हरे दिली से काम लेना चाहिए । उसके लिए मजदूर वर्ग मिल-मालिक और गवर्नेमेंट तीनों को मिल कर यह फैसला करना चाहिए कि भाई पंच के पास से इन्सांफ़ कराओ और इन्साफ से काम लो । लेकिन इस भणगड़े से मुल्क का काम मत बिगाड़ो । आज तो हमारे मुल्क का काम बिगड़ रहा है । तो आज लेबर को यह चीज समभानी हैं कि तुम्हें जितना मिलना चाहिए बहू आपको बिना स्ट्राइक ( हड़ताल) किए मिल जाना चाहिए । उसका इन्तजाम गवर्नमेंट कर सकती है । यदि यह चीज हो जाए तभी देश का भला है । अगर ऐसा न हुआ तो लेबर में जितने काम करनेवाले लोग हैं इनसे में बड़ी अदब से प्रार्थना करता हूँ कि उस सूरत में हिन्दुस्तान तो पीछे रह जाएगा बहू आगे नहीं बढ़ सकेगा । दुनिया के उन्नत मुल्कों में जिस तरह लेबर का काम चलता है उस तरह का हमारा संगठन नहीं है उस तरह की हमारी लेबर भी नहीं है और न उस तरह की हमारी तालीम ही है । हमारी गवर्नमेंट भी उस तरह की नहीं है। ः आप जानते हैं कि हमारी बंगाल सरकार ने एक पब्लिक सेपटी बिल बनाया है। आज बंगाल में जो प्रधान मण्डल है वह हमारा अपना है। हमें उससे काम लेना है । अब बंगाल के प्रधान मण्डल ने इस विचार से कानून बनाया कि पदिचिम बंगाल का भला हो और यहाँ कोई कगड़ा-फिसाद न हो कोई तूफान न उठ खड़ा हो । जब यह बिल असेम्बली में पेश हुआ तो कुछ लोगों ने मेम्बरों को असेम्बली में जाने से रोकना शुरू किया । इस से हमारा काम नहीं चल॑ सकता । आज यदि हमारा प्रधान मण्डल अच्छा काम न करे तो हम उसको हटा सकते हैं । तो जिन लोगों ने यह बिल पद किया था उनको.अगर आप हटाना चाहें तो उनके ऊपर जो देख-भाल करनेवाले लोग हैं कांग्रेस की. वकिंग कमेटी है मध्यस्थ सरकार है उनके पास जाना चाहिए था । या आखिर में सच्चा रास्ता यह है कि आप उन लोगों के पास जाते जो उनको वोट देनेवाले हैं। बहू बंगाल की कलकत्ता की प्रजा है और उनके पास आपको जाना चाहिए था । लेकिन मेम्बरों को असेम्बली में जाने से रीकना .तो किसी भी तरह ठीक नहीं । इस तरह करने से तो हमारा कोई काम नहीं चलेगा । इस तरह कोई छोक-शासन नहीं रह सकेगा कोई डेमोक्रेसी प्रजातन्त्र नहीं रहेगी । इस तरह तो गुंडों का राज्य हो जाएगा । आज में जब एक बजे इघर आया तो मेंने अखबार में इधर की. एक




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