धर्म निर्णय | Dharam Nirnaya
श्रेणी : धार्मिक / Religious, राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.34 MB
कुल पष्ठ :
602
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भमिका । ८ नए नरेटिडिकटुजशडकडिशनाण धर्म के आधार में ही मनुष्य मात्र का सुख प्रति- छ्ठित है। इससे घम की मीभांसा और उसके प्रचार के लिये नाना शास्त्र बने हैं । सचनामें लिखा गया है कि मनपष्य जाति का घर्म एक है पर अनादि काल से घ्म के विषय में विवाद चले आते हैं। सब देशों में सभाएं - हुआ करती हैं पर विवाद शान्त नहीं होते । इसका कारण यह है कि जितेने जातीय अथवा कौमी मजुहंब हैं सब में स्वार्थ तत्परता मिश्रित है। इससे धर्म का निणंय सुगम नहीं है । समी अपनी २ जाति और मजुहब की बढ़ती उऔौर अन्य सब की हानि करने में प्रदत्त रहते हैं तथा अन्य २ घूते धर्म के मिष से अनाचार वृद्धि कर रहे हैं। इससे थम में अश्नट्वा होती जाती है। तथा जैसे २३ धर्म में ग्लानि बढ़ती है बैसे २ ही देश की अवनति होती है। यह सावंभौम सिद्धान्त है । धरम से तथा स्वार्थ तत्परता से अत्यन्त विरोध है जैसे भक्ष्य भक्षक से विरोध रहता है। आप्तों ने सनष्य मात्र का निष्काम कमें अथांत् स्वाथे त्याग ही मर घर्मं माना है। दतता की दृष्टि को हो अधमं माना है । एक ब्रह्म द्वितीयो नास्ति अथांत् अत सिद्धान्त की हो निश्चित किया है । उसकी उपासना निष्काम कर्म
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