पद्म पुराण भाषा - २ भूमि खंड | Padam Puran Bhasha - 2 Bhumi Kand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
90.29 MB
कुल पष्ठ :
1034
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मुंशी नवल किशोर जी - Munshi Naval Kishor Ji
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कि प्प्राण भाषा भूमिखण्ड दिं० । _ चाथ्ये तम्ह्वारे होंगे यह कह घर्मता चठगये व. वद्शन्वों उठखड़ . हुये 3० मानों.शायनही करते थे -व _उठतेहा उस महावुद्धिमानन घुस्मेशस्मी अपने साइसे कही ि है जाता . बहू देवी कहां हे व हसारे पिताजी इस समय कहांहोंगे ११ यहसुन घर्मशस्मा-ने सं- सप रीतिसे सब उत्तान्त.कहा जेसे कि पिताने बेद्शम्मां के जिलानें के लिये ्ाज्ादीधी उस बातकों जान बेद्शस्मों अतिहषित हीके चम्सदास्मोसे बोला कि 37 है महायोग हुमारे शिरके जीअआने से ब्याजहमारे पिंताजी सखीहोंगे इससे एथ्वीपर आजहमारे समान और कोनेहे १३. पिंताकि समीप को जानेमें उत्सुक अपने भाई घ- _ स्मेशस्सां से ऐसा कहकर घर्मेशन्सां भाइकेसड् वेद्शाम्सा अपने _ घरको चला १४ इस प्रकार देखनेकी इच्छा कियेडुये अपने. पिताके समीप वे दोनों गये च पहुँचतेही दिवसों से १५ घम्मेशम्सा यह _ चचन बोला कि हे त्रिप्रेन्द्र आपके तेज से यमराज के गहसे इन बेदशम्मां को हमलाये अब अपने पत्रको ग्रहण करो घर्मदाम्मां की ऐसी सक्तिजान शिवदीम्मोजी कछनहीं बोठे च फिर चिन्ता करने ...ऊगे च आगे हाथंजोड़े खड़ेहुये अपने चौथेपुत्र महामति १६1१८ . विष्णशम्मों से बोले कि हे चत्स- तुम हमारा यहःवचन करो आज .. हीं इन्द्रलोक को जाओ व वहांसे अभी -अमतलाओ. १९. इम इस -. खीके साथें पानकिया चाहते हैं हे सब्रत जो कि सागर से उत्पन्न हुआआाई वह सबब्याधि नाइनेवाला अद्तलाओ २० जिससे अंभी . हमारी उंड्ावस्था. नष्टहॉजाय व हमें नीरोग.होजावें हे पत्र यदि. हमारे मक्नह्दो तो ऐसाही करो सोभी शीज्घ्रता के साथ नहीं तो यह _ खरी हमको छोड़कर आओर.के पास चलीजायगी २१ क्योंकि हमको . उडजानकरं यहें स्वरूपिणी व॑ थोड़ी -अवंस्थां-की. खी हमें. नहीं मानती २२ इससे हे तात. जिंससे. प्यारी ख्रीके संड् -हम रत नों लाकाम नाप व व्याधघ राहत होकर सुखभारे २३. अपने -सहां- र्मा पिताके ऐसे बेचन सुनकर प्रकाशित तेजवालें अपने- पिंतासें __. विष्णशम्सा बोला २४ कि आपके उत्तम सुखके लियें हस यंह सब काय्य करगे ऐसा पितासे कह मंहामति विष्णशम्मो २५॥॥ न 1. ि
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