वैदेही - वनवास | Vaidehi - Vanvas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.86 MB
कुल पष्ठ :
347
श्रेणी :
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No Information available about अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध - Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७. ) बाबा आदम के एक लड़के का नाम हावीठ था और दूसरे का नाम क्ाबीठ दूसरे ने पहले को जान से मार डाढा। इस दुर्घटना पर बाबा आदम के शोक संतप्त हृदय से अनायास जो उद्वार चिकछा वही करुण वाक्य कविता का आदि प्रवत्तक बना । उक्त शेर का यही -मम्में है । हमारे मनु ही मुसलमान और इंसाइयो के आदम हैं । मनुज और आदसी पय्यौयवाची शब्द हैं जैसे हम ढछोग मनु भगवान को आदिम पुरुष मानते हैं वैसे ही वे छोग बाबा आदम को आदिम पुरुष कहते हैं। आदिम शब्द और आदम दथव्द सें नाम मात्र का अन्तर है। फारसी ईरान की भाषा है। ईरानी एरियन वंश के ही हैं । ईरानियों के पवित्र अरंथ जिन्दावस्ता में संस्कृत शब्द भरे पड़े हूं। इसलिये इस प्रकार का विचार साम्य असंभव नहीं है । भाषा के साथ भाव-ग्रहण अस्वाभाविक व्यापार नही है । पद्य प्रणाढी का जो जनक है वाल्मीक-रामायण जैसे लोकोत्तर मद्दाकाव्य की रचना का जो आधार है उस करुण रस की महत्ता की इयत्ता अविदित नहीं। तो भी संस्कत श्छोक के भाव का प्रतिपादस एक अन्यदेशीय प्राचीन भाषा द्वारा हो जाने से इस विचार की पुष्टि पूर्णतया हो जाती है कि करुण रस द्वारा ही पहले पहल कविता देवी का आधिभाव मानव हृदय मे हुआ है । और यह एक सत्य का अद्भुत चिकास है. । करुण रस की विशेषताओं और उसकी मस्मंरपर्शिता की ओर मेरा चित्त सदा अफर्षित रहा इसका ही परिणास प्रिय-
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