यात्रा और शिकार | Yatra Aur Shikar

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फ्रांसिस पाकेमैन - Francis Pokeman

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सत्यकाम - Satyakam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आरम्भ कॉफी घिस चुकी थी । उसके ठीक पीछे शाॉँ एह लॉटरी घोड़े पर सवार था । वह एक श्रौर बडे घोड़े की रास थामे बंढेस्ट्रोंरथा। उसकी साज- सजावट सुक्त से मिलती जुलती थी। यह भेस साज-सजावट के लिये न होकर काम-काजी ढग से बनाया गया था । काठी स्पेनी ढग की श्रत्ययन्त सादी श्र काले रंग की थी । उस में भारी पिस्तौलें लटकाने की जेबे भी बनी थी । पीछे की श्रोर एक कम्बल लिपटा रखा था । सपेटी हुई एक लम्बी खोजी रस्सी घोड़े की गदन से बाँधकर उसी के एक श्रोर लटका दी गई थी । सात सेर से श्रघिक भारी राइफल मेरे पास थी फिन्तु शा के पास दुनाली बन्द्रक थी | इस समय की हमारी वेश-भूुषा यद्यपि बहुत अच्छी न थी फिर भी सम्य ढग की श्रवश्य थी । किन्तु जब हम यात्रा से लौटकर झ्राये तब की हमारी वेश-भुषा इस के मुकांबिले बहुत ही चिगडी हुई थी । फलालैन की एक लाल कमीज ही हमने पहन रखी थी जो कमर पर कसी पेटी के कारण फ्रॉक जैसी लग रही थी । बूटो की जगह हमने भी मोकास्सिन की ही खाल पहन ली थी । हमारी बाकी पोशाक किसी श्रादिवासी स्त्री द्वारा हिरण के सुखाये श्रौर तपाये चमडे से बनी हुई थी । हमारी खच्चरो भ्रौर गाडी को चलाने वाला देस्लारियिर पीछे-पीछे अपनी गाडी को हलके कीचड में से होता हुभ्ना बढाता त्रा रहा था । वह कभी श्रपना पाइप पीता था श्रौर कभी मेदानी भाषा में एक गाला दुहराता था भगवान्‌ के पवित्र बेटे ये शब्द वह तब कहता था जब कोई टटूटू किसी गहरे नाले या खाई मे उतरने से कतराता था । यह गाडी सफेद कपडें से चारो श्रोर से ढकी हुई थी । इस प्रकार श्रन्दर की चीजें सुरक्षित कर ली गई थी । ऐसी गाडिया क्वीवेक के इलाके के वाजारो मे दर्जनों की सख्या मे इधर-उधर बंधी हुई मिल जाती थी । इनमे हमारे खाने-पीने का सामान तम्बु गोली-बारूद कम्बल श्रौर श्रादि- दासियों के लिए भेटें श्रादि पडी थी । आरादमी हम चार थे पर पु श्राठ मैंने भ्रौर शॉ ने तो एक-एक घोड़ा फालतू ले ही रखा था पर गाडी के साथ भी हम एक फालतूु टट्ट्ठ लेकर चल रहे थे । मुसीबत या दुर्घटना के समय इसकी झावइ्यकता पड सकती थी । पुरे दल के इस वर्णन के वाद यह भी उचित ही होगा यदि श्रपने साथ चलने वाले दोनो साथियों के चरित्र का भी कुछ परिचय दे देस्लास्यिर कनाडा का रहने वाला था । उसमे जीन वैप्तिस्त की बैंधी श नै




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