पुराणों की अमर कहानियाँ | Purano Ki Amar Kahaniyan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.04 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राम प्रताप त्रिपाठी शास्त्री - Pratap Tripathi Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त्यरुण का पश्चात्ताप सूर्यबंश में महाराज इश्वाकु पुराण प्रसिद राजा थे | इन्हें ही सूर्यबंश का सर्वप्रथम सम्राट कहा जाता है | इनकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुराणुकारों ने विचित्र कल्पनाएं की हैं । कछ पुराणों का मत है कि एक बार सूयपु्न महाराज मनु के छींकते समय उनको नासिका से इनकी उत्पत्ति हुई थी । इसी कारण से इनका इश््वाकु नौम रखा गया था | राजा इश्वाकु की राजधानी श्रयोध्या थी । प्रिता द्वारा प्राप्त राज्य को राजा इश्वाकु ने बहुत विस्तृत किया श्र एक प्रकार से सूयंचंशी साम्राज्य की नींव उन्होंने ही डाली । इसीलिए पुराण कर्त्ाओं के मत से इन्हें सूयबंश का प्रथम वंशकंत्ता भी माना गया है । राजा इश्वाकु के अ्नन्तर सूर्यबंश में श्रनेक पराक्रमी तथा परोप- कारी सम्राट हुए जिनमें से झ्नेक की मनोहर कथाओं का पत्लवन पुराण कर्ताश्रों तथा संतों ने किया है । एक प्रकार से राजा इश्वाकु की यह बंश परम्परा पुराण प्रख्यात नरेशों की एक लंबी श्रृंखला दी उपस्थित करती है। विकुल्ति परंजय श्रनेना प्रथु बूघगश्ब द्याद्र युवनाश्व श्रावस्त बूषद्श्व कुबलयाश्व (. धुन्धुमार ) . दृढाश्व वायंश्व निकुम्म संइताश्व कुशाश्व प्रसेनजित् युवनाश्व मान्धाता पुरुकत्स चसदस्यु सम्थूत शनरण्य प्रघदश्व हर्यश्व सुमना त्रिथ्वज (चरिवृष्ण) व्यरुण सत्यत्रत (त्रिशंकु) दरिश्चिन्द्र रोहिताश्व हरितचंघु विजय ससक बक चाह सगर असमंजस अ्ंशुमान् दिलीप भगीरथ श्रूत नाभाग अम्न्रीप सिंस्खुद्वीप श्रयुताशव शठपणुं सर्वकाम सुदास सौदास (कल्माधपाद) श्मक मूलक दशरथ इलिविल विश्वसह दिलीप (खदबांग) दीघंवाहु रघु शज दशरथ तथा रामचन्द्र (लक्ष्मण भरत एवं शत्रुघ्न) झादि महा पुरुष क्रमश एक के बाद .एक शझयोध्याधिपति हुए । इस नामावली में ऐसे अनेक पुशणुपरिचित नाम हैं जिनकी वीरता धीरता परोपकारिता एवं शौर्य
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