बाल - भोजप्रबन्ध | Baal Bhojaprabandh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.63 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चा झ्ु ण्छण्छि रद # बाल-मोज-प्रबन्ध ८९ ०५ ट श 2४०शनशनश्मशन्श्नेशन्शनशन्श्न्श्लशनध ( प्र 22 दा स्ि दब ए 2 ज ज्र् रू के +... पहला पारच्द्धद पे टेट टाटा राजा भोज का परिचय 2 ह्लाह्लुह्लची न समय में इस आ्रायांवत्त देश में बड़े बड़े प्रतापी पा तेजस्वी धर्मघुरन्थधर झऔर अटन्त पराकमी छह भनेक राजा हो गये हैं। सूयवंश और चन्द्रबंश इन दोनों ही वंशों के राजा बड़े बुद्धिमान और परोपकारी थे । जो चढ़ता है वही गिरा करता है? इस उक्ति के अनुसार पीछे से ऐसा समय झा गया कि इस देश की अत्यन्त हीन अवस्था हो गई। सब कला-कौशल अर सब विद्यायें नष्ट हो गई । लोगों ने पढ़ना लिखना छोड़ दिया श्रौर
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