हिन्दुस्थानी ख्याल - गायकी भाग - १ | Hindusthani Khyal Gayaki Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindusthani Khyal Gayaki Bhag - 1 by पं. यशवंत सदाशिव - Pt. Yashwant Sadashiv

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. यशवंत सदाशिव - Pt. Yashwant Sadashiv

Add Infomation About. Pt. Yashwant Sadashiv

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१४ श्री. गोविद्राव टेंबे मद्दाहूर हार्मोनियम वादन पढटु गायनाचाय पंडित सिराशीबवुवा ने बड़े परिश्रम से अ+नी गुरु परपरा रात गायकी विस्तार के साथ स्वर छिपिसें उतार दी है। जोर अपने दिष्य गण से एक बार वहीं सुननेका मौका भी आपने सुझे दे दिया था। गायन सीष्माचाय स्वर्गीय बाठकृष्णडुचा इचलकरंजीकर जी के जो दिष्य आज जिन्दा हैं उनमें से पं. सिराशीवुवा एक खास शिष्य हैं। आपने गुर परंपरा की सिर्लेप गायकी जैसे की वेखे जीवित रखने का पुण्य संपादन किया हैं इस में शक नहीं । अत एव लेखन द्वारा संगीत श्रसार करने की आजकल की प्रथाके मनुसार ्रत्यक्ष गुरुमुख से प्राप्त की हुई गायकी को खेखन द्वारा रक्षा करने का आपडी को अधिकार हे । आपने परिश्रम पूवेक अपने इस अधिकार का उपयोग किया हैं। इस उपक्रम के द्वारा पं. मिराधीबुवा अपने गुरुजी का चिरकाछीन स्मारक कर बेटे हैं। आपका यह स्वीकृत काये सभी दृष्टि से प्रचंड हैं । क्यों कि कई रागों के चीजों के सैंकड़ों भालापतानों का लय और ताउ बद्धता से स्वर लेखन करना अतीव दूभर कार्ये है । पं. सिरादीवुवा की निस्सीम गुरु भक्ति और अपनी गायन परंपरा की एकनिष्ट उपासना इतनी इढमूरू है कि वह इस प्रचंड कार्य की पूर्ति ही करेगी । आपको अपने कार्य में सफलता मिले यहीं मेरी हाद्कि इच्छा । कोल्डापूर ् न के मथर गोविद्राव स. टेंबे श्री. के. वा. भोठे संगीत दिग्दर्शक इस पुस्तक सें श्री. सिराशीबुवा ने पौँंच रायों की चीजें विस्तार के साथ लोटेशन में लिखी हैं । इन चीजों. की गायकी स्व. बाठकृष्णघुवा इचछ- करेंजी करजी से आपने सीख ली है और वही दुबेहू नोटेशन में उतार देनेकी चेष्टा की है । इन चीजों को उदाके दिप्यों के कंठसे सुनते समय मुझे भ्रतीत हुआ कि वे उनके नोटेशन के अनुसार ही गायी जाती हैं। अपने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now