भिखारी दास खंड - २ | Bhikhari Das Khand - 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० ) जलाता--नष्ट करता है - जहि सूय लघु ( छोटा ) नाम किसका १-- पवाय ( चाहि ) न वायु पवन हुवा का उत्य में क्या विचारणीय ? लय न घुन-श्राचाज फंदे में व्याथ किसे फसाते हैं--ल्वा ( पत्ती ) को फूठटे पात्र ( बर्तन ) में क्या ढ्वाकर भात ( चावल ) पकाते हैं-- दिल गीला आटा लगाकर भाई को कुश ( श्रीराम पुत्र ) क्या कहकर जुलाते हैं-- दिय ८ प्यारे कट्कर बेल की बोली कब बंद होती है-- हिवाल शीत के समय राजा को कौन सुद्दाता है--वाल ( बाल ) न बाला तरुणी-ख्रियाँ किस स्थान में पक्नी विहार करते हैं-- वाहिज शून्य-एकांत स्थान में प्रियतमा ( स्त्री ) पति से क्या कहकर बोलती है-- वाहि उनको रोगियों को क्या बंद है-- जल-बाहि? - सनान । . --कल्याणुदास ब्रदस वाराणसी ( १६५६ । दास ने केवल तीन श्रक्तरॉँ का ही त्रिकोण माना है-- सर लव वा क्रमपवक इसमें पंद्रह प्रश्न का उत्तर दिया है । इसलिए तीन श्रक्तराँ के त्रिकोण में से प्रत्येक श्रज्नर से पाँच-पाँच उत्तर होते हैं । उत्तर पर झ्राने के पू् यह भी जान लेना चाहिए कि चित्र मे व नर का अमेद है श्र य ज का भी। य अ्रक्र से उत्तर क्रमशः य यवा ( जवा ) यल ( जल ) यवाल _ ( जवाल ) यलवा ( जलवा ) ये पाँच हुए । लग श्रक्नर से इसी प्रकार ल लय हलवा लयवा ( लइ़वा न लेवा ) लवाय ( लवन आय 9) वा चर से वा (बाँ) वाल ( बाल ) वाय ( बाज ) वालय ( बालइ न बाले ) वायल ( बातल न वायुकारक ) । तर प्रश्न और उत्तर को सिलाइए-- १--को गन सुखद न कौन गण ( मगण श्रादि ) सुखद है--य ( गण ) । २--कादे अंगुली सुनक्नी है अंगुली किस ( लक्षण ) से सुलक्षणी कही जाती है--यवा ( जवा ) से । ३--देत कद्दा घन बादल क्या देता दै--यल ( जल ) ।




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