लज्जा | Lajja
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.67 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand), ९ रे लज्जा
उसे चमकर कहा-“'दीदी और भया की डिकायत अम्मां से करने गई
थी? वह हमें जब मार बठतीं तब ?”
वह बोली-- क्यों तुम भेया को घूंसों से मार रही थीं ?”
“अच्छा, जबसे नहीं मारूंगी, भना ! तू भी शिकायत सत करियों ॥
भला ग
वह बोली--“'नहीं करूंगी ।'
|
.. .. ज़लियानवाला बागू की रक्तोतेजक घटना के कारण देश-भर में आत्स-
बलिदान का रव गूंज उठा। अलकापुरी के स्वप्नों से मोहाच्छल् मेरे नव-
_ बसंत-मय हृदय में इस घटना से कुछ आघात पहुंचा; पर बहुत हलका
कितु राजू एकदम अग्निमय हो उठा । उस समय उसकी अवस्था प्रायः
_ बौदहू वर्ष की होगी। इस छोटी अवस्था में ही वह दशेन-शास्त्र
. और राजनीतिक विज्ञान के बड़े-बड़े जटिल ग्रंथों के अध्ययन में अपने दिन
बिताने लगा । वह ऐंग्लो-इंडियन स्कूल में पढ़ता था। उसने विद्रोह की
. उत्तेजना के कारण सकल में जाना छोड़ दिया । असहयोग आंदोलन के पहले
से ही वह असहयोगी हो गया था !
राजनीतिक प्रंथों का उसनें बहुत अध्ययन किया। पर उनसे. उसे
'' विशेष संतोष नहीं हुआ । हां, एक बात अवश्य हुई । वह यह कि उसे
गंभीर विषयों के अध्ययन का चस्का लग गया । आज तक वह मेरी ही
. तरह केवल तुच्छ किस्से-कहानियों की किताबों को ही. पढ़ा करता था 1
अब वह दर्दन, इतिहास, फिजिक्स, . केमिस्ट्री बायोलाजी, और तो क्या.
'डॉक्टरी की किताबों को भी समननपूर्वक पढ़ने लगा । पाठकों को अवश्य
ही मेरी इस बात पर आइचयें होगा और यह अवश्य ही औपन्यासिक
अत्यक्ति समभी जायगी । इतनी छोटी अवस्था में ऐसे-ऐसे गहन. विषयों
बह
पर मनन करने की प्रवत्ति का होना आइचर्य की हो बात हुं, इसमे संदेह
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