तारा | Tara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.08 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९१ )
उसने टांग बँधे घोड़ों की झोर इशारा करते हुए कहा, “दादी
ये किसके हैं ?”
उनमें एक बादामी रंग की बड़ी घीड़ी, जिसके माथे पर सफेद
तारा था, बुढ़िया की थीं श्ौर शेष पड़ोसियों की । बीस मिनट
के श्रन्दर वें पड़ोसी बुढ़िया के घर पर मौजूद थे, ्रौर त्रेवकिंन जल्दी
जल्दी रसीद लिखते हुए कह रहा था :--
प्रगर चाहो तो श्रपना कोई छोकरा हमारे साथ भेज दो |
वह घोड़ों को वापिस लें आएगा ।””
इस सुझाव से किसान. खुश हुए । उनमें से हर एक श्रच्छी
तरह जानता था कि सोवियत सेनाओं के तेजी से श्रागे बढ़ने ने
ही हिटलरियों को सब जानवर हूँका ले जाने श्रौर गाँव को जलाने
से रोक पाया था । उन्होंने तेवकिन के सुझाव का कोई सिरोध नहीं
किया श्रौर तुरन्त एक नौजवान सईस को टुकड़ी के साथ जाने के
लिए चुना । भेड़ की खाल का कोट पहने इस सोलह वर्षीय लड़के
को इस श्रचानक श्राई जिम्मेदारी का गवँ भी था, और भय भी 1
उसने घोड़ों को खोला, कसा श्रौर कुएँ पर पानी पिलाकर बीला--
“घोड़े तैयार हैँ ।”
कुछ मिनट बाद बारह घुड़सवार परिचिम की' श्रोर सरपट भागे
जा रहे थे । श्रनीकानोव ज्रेवकिंन की बगल में पहुँचा श्रौर लड़के
की तरफ इशारा कर धीरे से बोला :---
“इस जब्ती के लिए श्रापकी गर्दन तो नहीं फँसेगी, कामरेड
लेफ्टिनेंट ! ”
फैंस सकती है”, त्रेवकिन ने एक क्षण सोचने के बाद कहा--
“लेकिन हम जर्मनी तक पहुँच सकेंगे ।””
एक दूसरे की बात समझकर दौनों मुस्करा दिये ।
अपने घोड़े को एंड मारते हुए ज्रेवकिन ने प्राचीन जंगल के
. मौन फैलाव को गौर से देखा । तेज हवा उसके मुंह पर गिर रही.
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