जैन - बौद्ध तत्व ज्ञान भाग - २ | Jain-bauddh Tatvagyan Part-2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.41 MB
कुल पष्ठ :
287
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बी. सीतलप्रसाद - B. Seetalprasaad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१९ ) हिसारमें बा० महावीरप्रसादजी वकील एक. और सफल कार्यकर्ता हैं । हिसारकी जेन समाजका कोई भी कार्य सम्मतिके बिना नहीं होता । भजेन समाजमें भी भापका काफी सन्मान है । इस वर्ष स्थानीय रासलीला कमेटीने सबेसम्मतिसे भमापकों सभापति चुना है। शहरके प्रत्येक कार्यमें आप काफी हिस्सा केते है । जैन समाजके कार्योमें तो भाप खास तौरपर भाग केते है । भापके विचार बड़े उन्नत जौर धार्मिक है । दहिसारकी जेन समाजको भाषसे बड़ीर भाशाए है और वे कभी भवदय पृणे भी होंगी । आपनें सबसे बडी बात यह है कि आपके हृदयमें साप्रदा- यिकता नहीं है जिसके फकूसरूप आाप प्रत्येक सप्रदायके कार्योमें विना किसी मेदभावके सहायता देने खीर हिस्सा लेते दे । आाप प्रतिवर्ष काफी दान भी देते रहते है । जेन अजेन सभी प्रकारके चदोर्षि शक्तिपूवेक सहायता देते हैं । गतवध आपने श्री ०त्र ० सीतकप्र- सादजी द्वारा छिखित भाप्मोन्नति या ख़ुदकी तरक्की नामका टूक्ट छपाकर वितरण कराया था । औ? इस वरष भी एक टेट छपाकर वितरण डिया जाचुका है । काने करीब ३००)-४००) की लागतसे अपने बाबा का० सर्दारसिहजीकी रखतिपें भपाहिज भाश्रम सिरसा (दिसार) में एक सुन्दर कमरा भी बनवाया है । भापके दी उद्योगसे गतवष ज्र०जीके चातुर्मासके भवसरपर सिरसा (हिसार) में श्री मदिरजीकी भावश्यकता देखकर एक दि० जेन मदिर बनानेक॑विषयें विचार हुआ था उम समय सापकी ही म्रेरणासे का ० केदारनाथजी बज न टिसासने १०००) और बा०
User Reviews
No Reviews | Add Yours...