जैन - बौद्ध तत्व ज्ञान भाग - २ | Jain-bauddh Tatvagyan Part-2

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Jain-bauddh Tatvagyan  Part-2 by बी. सीतलप्रसाद - B. Seetalprasaad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१९ ) हिसारमें बा० महावीरप्रसादजी वकील एक. और सफल कार्यकर्ता हैं । हिसारकी जेन समाजका कोई भी कार्य सम्मतिके बिना नहीं होता । भजेन समाजमें भी भापका काफी सन्मान है । इस वर्ष स्थानीय रासलीला कमेटीने सबेसम्मतिसे भमापकों सभापति चुना है। शहरके प्रत्येक कार्यमें आप काफी हिस्सा केते है । जैन समाजके कार्योमें तो भाप खास तौरपर भाग केते है । भापके विचार बड़े उन्नत जौर धार्मिक है । दहिसारकी जेन समाजको भाषसे बड़ीर भाशाए है और वे कभी भवदय पृणे भी होंगी । आपनें सबसे बडी बात यह है कि आपके हृदयमें साप्रदा- यिकता नहीं है जिसके फकूसरूप आाप प्रत्येक सप्रदायके कार्योमें विना किसी मेदभावके सहायता देने खीर हिस्सा लेते दे । आाप प्रतिवर्ष काफी दान भी देते रहते है । जेन अजेन सभी प्रकारके चदोर्षि शक्तिपूवेक सहायता देते हैं । गतवध आपने श्री ०त्र ० सीतकप्र- सादजी द्वारा छिखित भाप्मोन्नति या ख़ुदकी तरक्की नामका टूक्ट छपाकर वितरण कराया था । औ? इस वरष भी एक टेट छपाकर वितरण डिया जाचुका है । काने करीब ३००)-४००) की लागतसे अपने बाबा का० सर्दारसिहजीकी रखतिपें भपाहिज भाश्रम सिरसा (दिसार) में एक सुन्दर कमरा भी बनवाया है । भापके दी उद्योगसे गतवष ज्र०जीके चातुर्मासके भवसरपर सिरसा (हिसार) में श्री मदिरजीकी भावश्यकता देखकर एक दि० जेन मदिर बनानेक॑विषयें विचार हुआ था उम समय सापकी ही म्रेरणासे का ० केदारनाथजी बज न टिसासने १०००) और बा०




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