क्षणदा | Kshanada

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : क्षणदा  - Kshanada

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महादेवी वर्मा - Mahadevi Verma

Add Infomation AboutMahadevi Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
निबन्धकार एव कवि पूरणसिद्ट स्वासों रायतीर्थ के प्रभाव का वरुन इन्होंने अपने झात्सचरित में बड़ी निष्ठा के साथ किया हू रन तगमिग एस्कूरें क नमप ड्सी समय जापान में शक हा व .. भारतोथ सच्त से जो. भारत से थ पु आयें थे सेरी भेंट हो गयो । उन्होंने उप एक. ईदवरीय ज्योति से सुझे कृषक स्पर्श किया और मैं संत्यासी हो कि गया ४ लेकिन मैं देखता हूँ कि न .... उन्होंने मेरे हुदय में श्र भी की झुक पक. झनेकों भाव जिनके लिए भारत बे . के शझाधुनिक सन्त बहुत व्यग्र हैं सर दिये--जैसे. भारत की संन्यापी पूर्ण एक जापानी सहतता को जायत करना राष्ट्र का निद्यार्थी के साथ निर्माण और कसंठ बनाना यद्यपि से जीदस के पचड़ों में झाकर्षित नहीं होता था तथापि जिसने मुझे आत्मज्ञास की इतनी बातें घतायीं उसकी आज्ञा शिरोधाय करके और अपनी रसायन शास्र की पुस्तकों फ़ेंक फाँक कर मैं भारत की श्रोर चल पड़ा । उस समय संब बातों को देखते हुए मुक्के सहानू घर को प्राप्ति लथा उच्च जीन की उच्च घ्रगति के लिए श्पने देश की अपेक्षा जापान अधिक उपयक्त जान पड़ा लेकिन मैं बया करता ? उस हिंन संस्थायी ने जिस प्रचण्ड बार्सिता के साथ सुझत में बिजली भरी थी उससे प्रेरित होकर मैं सघुर स्कप्नों और श्राशाश्रों से भरा हुमा भारत- वचें झा पहुँचा 1 नाद में भारत श्राकर मे रुवामी जी के साथ संन्यासी वेद में अर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now