साधारण रसायन | Sadharan Rasayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52.7 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)&. द्वितीय अध्याय वायव्य संबन्धी सिद्धाग्त डाल्डन का सिद्धान्त ...... बकाइवस्तु गरप्को ज्ञाती है थो उसके झायतनमें कुछ वृद्धि दो जाती दे । यदद निपम ठोस द्रव श्रौर चायव्य तीनों के विषयमें पक सा है । इसी प्रकार किखी चस्तुफों ठण्ड वरतो चह सिकुड जायगी | सारांश यह दे .कि वस्तुके झायतन श्ौर तापक्रममें बड़ा सम्बन्ध है । ठोस पदार्थ गरम करने पर बहुत _ कम बढ़ते हैं द्रव पद।थीमिं ठोलकी झपेक्षो अधिक बढ़ती होती है। तापमापकर्षे पारेको बढ़ता इुझा समीने देखा है। पर वायव्य पदार्थ थोड़ा सा दी गरम करने पर बहुत बढ़ जाते हैं । बायब्योके खस्वन्धम जिस श्रकार त.पक्रमका विचार रखना पड़ता है उसी प्रकार दबावहा भी ध्यान रखना चादिये । ठोस श्रौर दब पदार्थों पर दबाव का कोई विशेष प्रमाव नहीं पड़ता है । झतः जब दम वायब्योंके झायतन छौर तापक्रमका झध्ययन करगे तो दमकों दबाव स्थिर रखना पड़ेगा । करुपना कीजिये कि १ घन फुट वायु हा कुछुअंश तापक्रम बढ़ानेसे इसका झायतन १३ घन फुट दो गया । इस प्रहार झायतनमें हे घन फु० _ की बद्धि हुई । यदि दम तापक्रम न बढ़ाते झौर वायुके द्बावको कम करते तो भी श्रायतन इढ़ता झोर पदलेके समान चूद्धि दोती । झतः _. वायुके झायतन बढ़ानेके दो साधन हें--(१) तापक्रपको बढ़ाना झर (२) दूबावकों कम कर देना। इस समय दम केवल इतना दी विचार वरेंगे कि यदि दबाव में कोई भेद न किया जाय झऔर के- बल तापक्रम बढ़ाया जाय तो झायतन किस ह्साबसे बढ़ेगा । . झायतनके . बढ़ नेका नाम विस्तार झोर कम होनेका नाम संकोच हैं । यहाँ एक बात श्रोर समभलेनी उचित है कि ठोस द्रव झौर चायव्यों में एक विचित्र सेंद है। समान झोय- तनके पएकसे दो ठोस पदाथ लीजिये एक लोहेका _झांर दूसरा चादीका । दोनोको. एक ही तांप्रक़रम तक गरम कीजिये । झब दोनोका श्ायतंन देखि- ये | इस समय दोनों के झायतन एक दुंसरेसे मिन्न होंगे । इससे यह सिद्ध है क्ंचाँदी घर लोहा दोनौमें भिन्न मात्रामें विस्तार होता है। यही झव- स्था द्रवोकी है । पानी पारेकी झापेक्षा कहीं छाधिक विःदृत दो जाता है । पर बायव्योके जिष यमें यद बात नहीं हैं। उद्ज्न झोषजन शोर नोप- जन तीनो हे समान घायतन शो एकसे दुबांवंपर समान ताएक्रम तक गरम करके फिर झायतनों की तुलना कीजिये 1 अब मी तीनके झायतन परस्पर में बराबर होगे । झतः यह स्मरण रखना चांदिये कि प्रत्येक वायव्य पर तोपक्रमका पक समान प्रसाव पड़ता है झोर उनमें विस्तार शर सं काय भी एकसाद्दी दोता है । ं ) मर _ डाइटन नामक वैज्ञानि कने वायद्यों के दिषयमें पक उपयोगी सिद्धान्त निकाला हैं । बहुत साव- घानीसे प्रयोग करनेपर उन्होंने यह निश्चित किया है कि यदि दबाव स्थिर रकखा जाय तो प्रत्येक वापब्य ०शसे १९५ तंकः तापक्रम बढ़ानेपर थपने ायतन का लगभग इह्ेड भांग बढ़ेगा। इस प्रकार जिल वायव्प्र का. झोयतन ०श पर २७३ हे उल्कका झायतन-- . ................ ७४. १ श .. पर रक्षा पर... ७४५ इेश पर २७६. १० श. पर ३ तीश. पर... (९७१ त) दो जावेगा । इस नियम का ध्यान रखकर ताप कऋमकी झपेक्षासे किसी गैसके. शायतनक
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